भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने संसद भवन के एनेक्सी में आयोजित आवास एवं शहरी विकास मामलों की संसदीय स्थाई समिति की बैठक में शहरों की स्वच्छता को लेकर कई अहम मुद्दे उठाए। उन्होंने साफ कहा कि शहरों की गंदगी तभी कम होगी जब समस्या की जड़ों पर ध्यान दिया जाएगा। उनकी बातों को समिति के अध्यक्ष एम. श्रीनिवासुलु रेड्डी ने गंभीरता से सुना और अधिकतर सुझावों को स्वीकार कर लिया।
कॉलोनियों में सुअरों से बढ़ रही गंदगी
सांसद आलोक शर्मा ने कहा कि शहरी इलाकों की कॉलोनियों में सुअरों का घूमना अब एक बड़ी समस्या बन चुका है। ये न केवल गंदगी फैलाते हैं बल्कि कई बार लोगों के लिए खतरा भी पैदा करते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ समाज आजीविका के लिए सुअर पालते हैं। ऐसे में इन सुअर पालकों को नगर निगम सीमा के बाहर जगह आवंटित कर वहां व्यवस्थित रूप से सुअर पालन करने की अनुमति दी जाए। इन्हें ऋण की सुविधा भी दी जाए, ताकि वे इस कार्य को संगठित तरीके से कर सकें और शहरों को गंदगी से निजात मिल सके।
सीवर चैंबर बने दुर्घटनाओं का कारण
शर्मा ने बैठक में यह भी कहा कि शहरों में जगह-जगह सीवर चैंबर या तो खुले रहते हैं या फिर उनके ढक्कन टूटे होते हैं। ऐसे में कई बार राहगीर हादसे का शिकार हो जाते हैं। खासकर बरसात के दिनों में जब पानी भर जाता है, तो इन गड्ढों का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि चैंबर ढक्कनों को टिकाऊ बनाने और उनकी नियमित जांच की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि लोगों की जान जोखिम में न पड़े।
खुले में शौच पर भी जताई चिंता
सांसद आलोक शर्मा ने कहा कि सरकार भले ही स्वच्छ भारत अभियान चला रही है, लेकिन जमीनी हकीकत में आज भी खुले में शौच की समस्या बनी हुई है। उन्होंने कहा कि जब तक इस पर ठोस योजना नहीं बनेगी, तब तक स्वच्छता के उद्देश्य पूरे नहीं हो पाएंगे। इसके लिए जागरूकता के साथ-साथ जरूरी सुविधाएं भी मुहैया कराना होंगी।
स्वच्छता पर ठोस कदम जरूरी
सांसद ने जोर देकर कहा कि स्वच्छ शहर सिर्फ नारों से नहीं बनेंगे। इसके लिए व्यावहारिक और दीर्घकालिक कदम उठाने होंगे। चाहे वह सुअर पालकों को नगर निगम सीमा से बाहर व्यवस्थित करना हो, सीवर चैंबर की सुरक्षा हो या खुले में शौच पर रोक, इन सब पर एक साथ काम करने से ही परिणाम सामने आएंगे।
बैठक में सांसद आलोक शर्मा के सुझावों पर समिति के चेयरमैन एम. श्रीनिवासुलु रेड्डी ने सहमति जताते हुए उन्हें स्वीकार कर लिया। शर्मा का मानना है कि अगर ये सुझाव लागू हो जाते हैं, तो भोपाल समेत देश के अन्य शहरों में स्वच्छता अभियान को नई दिशा मिल सकती है।
