आज बन रहा दुर्लभ संयोग, शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का संगम; जानें पूजा विधि

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Published On: 19 September 2025

सनातन धर्म में तिथियों का विशेष महत्व होता है और इनमें त्रयोदशी तिथि खास मानी जाती है। इस वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 19 सितंबर, शुक्रवार को है। इस दिन एक दुर्लभ संयोग बन रहा है, क्योंकि त्रयोदशी श्राद्ध के साथ ही शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि व्रत का संयोजन बन रहा है। पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य कन्या राशि में रहेंगे और चंद्रमा सुबह 7:05 बजे तक कर्क राशि में होंगे, जिसके बाद सिंह राशि में गोचर करेंगे।

19 सितंबर को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पितरों के श्राद्ध के साथ-साथ दुर्लभ योग बन रहा है, जिसमें शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का संयोग है। इस दिन पितरों की पूजा और भगवान शिव की अराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।

त्रयोदशी तिथि पर विशेष श्राद्ध

त्रयोदशी तिथि पर पितृ पक्ष के अंतर्गत विशेष श्राद्ध किया जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि को हुई थी या जिनकी तिथि अज्ञात है। विशेष रूप से अल्पायु पितरों और दो वर्ष से अधिक आयु के मृत बच्चों का श्राद्ध इस दिन किया जाता है। त्रयोदशी श्राद्ध में तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज के साथ पितरों को अन्न-जल का भोग लगाया जाता है।

त्रयोदशी श्राद्ध पर शिवजी के लिए 2 व्रत

शुक्र प्रदोष व्रत

कल त्रयोदशी श्राद्ध के साथ ही विशेष योग बन रहा है, क्योंकि इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी मनाया जाएगा। यह व्रत उन तिथियों पर किया जाता है जब त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल (सूर्यास्त के समय) में आती है। मान्यता है कि इस व्रत के पालन से सौंदर्य, सुख, धन और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

मासिक शिवरात्रि व्रत

19 सितंबर को त्रयोदशी तिथि के साथ मासिक शिवरात्रि का भी दुर्लभ योग बन रहा है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मासिक शिवरात्रि के अवसर पर शिव पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

पूजा विधि

19 सितंबर को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर विशेष योग बन रहा है, जिसमें शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि व्रत एक साथ पड़ रहे हैं।

  • इस दिन भक्तों के लिए भगवान शिव की पूजा अत्यंत फलदायी मानी गई है।
  • प्रदोष व्रत में शाम के प्रदोष काल में उपवास रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
  • वहीं, मासिक शिवरात्रि व्रत में रात्रि के समय शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी और बेलपत्र अर्पित कर अभिषेक किया जाता है
  • और रुद्राभिषेक के साथ शिवजी की उपासना की जाती है।
  • इस दिन पितरों के त्रयोदशी श्राद्ध के साथ इन व्रतों का पालन करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

लाभ

  • प्रदोष व्रत महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
  • इस व्रत के पालन से घर में लक्ष्मी का वास होता है।
  • भगवान शिव की पूजा करने से सभी ग्रहों के दोष दूर होकर जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • नियमपूर्वक प्रदोष व्रत करने से परिवारिक जीवन में प्रेम, सुख और धन-वैभव की प्राप्ति होती है।

डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है।

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