मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शहीद शंकर शाह-रघुनाथ शाह बलिदान दिवस कार्यक्रम में कहा कि आदिवासी हिंदू हैं। उनका कहना था कि अंग्रेजों ने शर्त रखी थी कि शंकर शाह-रघुनाथ शाह हिंदू धर्म छोड़ दें, लेकिन उन्होंने जान देना ही बेहतर समझा। सीएम ने कहा कि आदिवासी हमेशा सनातनी हिंदू रहे हैं, उनकी संस्कृति और पूजा-पाठ हिंदू देवी-देवताओं से जुड़ी है।
गोंडवाना पार्टी का विरोध
इस बयान पर गोंडवाना गणराज्य पार्टी के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। राधेश्याम काकोड़िया ने कहा कि सीएम आदिवासियों को गुमराह कर रहे हैं। आदिवासी अपनी अलग पहचान, संस्कृति, पहनावा और भाषा रखते हैं। 1931 के ट्राइबल एक्ट में आदिवासियों को अलग पहचान दी गई थी, इसलिए उन्हें सनातनी हिंदू कहना गलत है।
संस्कृति और पहचान पर जोर
काकोड़िया ने कहा कि आदिवासी संस्कृति से हिंदू, मुस्लिम और ईसाई सबने कुछ सीखा है। आदिवासी प्रकृति के सम्मान में विश्वास रखते हैं और आविष्कारक भी हैं। उन्होंने याद दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र ने 1994 में हर साल 9 अगस्त को विश्व मूलनिवासी दिवस घोषित किया है। उनका कहना था कि आदिवासी हैं तो मानव हैं, इसलिए किसी धर्म में बांटने की कोशिश न की जाए।
कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया
कांग्रेस विधायक और आदिवासी नेता ओमकार सिंह मरकाम ने भी सीएम के बयान पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की असली पहचान और उनके अधिकारों का सम्मान होना चाहिए।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जबलपुर में जनजातीय गौरव, अमर शहीद राजा शंकर शाह जी एवं कुंवर रघुनाथ शाह जी के बलिदान दिवस पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया।
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— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) September 18, 2025
दरअसल यह विवाद पिछले दिनों नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के बयान से शुरू हुआ था। उन्होंने कहा था कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं। मध्यप्रदेश में लगभग 1.53 करोड़ आदिवासी हैं, जो कुल आबादी का लगभग 21% हैं। सबसे ज्यादा भील और गोंड आदिवासी हैं। राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे का फायदा उठाकर आदिवासी वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही हैं।
मुख्य लड़ाई आदिवासियों के वोटों की है। दोनों पक्षों की बयानबाजी और प्रतिक्रिया इसको और तेज कर रही है। इस मुद्दे पर राजनीतिक दल सक्रिय हैं और आदिवासी समुदाय के बीच इसका असर दिखना शुरू हो गया है।
