शारदीय नवरात्र 2025 का पावन पर्व 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस दौरान कई लोग उपवास रखते हैं और अक्सर सामान्य सफेद नमक की बजाय सेंधा नमक (Rock Salt) का इस्तेमाल करते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन इसके पीछे सिर्फ धार्मिक कारण ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं। सेंधा नमक और सफेद नमक में रासायनिक संरचना और स्वास्थ्य पर असर अलग होता है, इसलिए उपवास के दौरान सेंधा नमक का चयन करना लाभकारी माना जाता है।
सेंधा नमक का इस्तेमाल शारदीय नवरात्र के व्रत में सफेद नमक की जगह करने का प्रमुख कारण स्वास्थ्य और पाचन से जुड़ा हुआ है। सेंधा नमक प्राकृतिक रूप से खनिजों से भरपूर होता है और इसमें आयोडीन की मात्रा नियंत्रित रहती है, जिससे व्रत के दौरान शरीर को संतुलित पोषण मिलता है।
सेंधा नमक क्या है?
सेंधा नमक प्राकृतिक खनिज है जो पहाड़ों की खदानों से सीधे निकाला जाता है और इसे बहुत कम प्रोसेस किया जाता है। इसमें मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन और जिंक जैसे कई जरूरी खनिज मौजूद रहते हैं। हल्के गुलाबी या ग्रे रंग के कारण इसे पिंक सॉल्ट भी कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे बेहद शुद्ध माना गया है, इसलिए उपवास के दौरान इसका सेवन खास तौर पर किया जाता है।
सेंधा नमक के फायदे
- सेंधा नमक केवल स्वाद ही नहीं बढ़ाता, बल्कि सेहत के लिए भी लाभकारी है।
- इसमें कम सोडियम होने के कारण यह हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- सेंधा नमक में 80 से अधिक ट्रेस मिनरल्स मौजूद हैं, जो शरीर को ऊर्जा और पोषण प्रदान करते हैं।
- आयुर्वेद के अनुसार यह पाचन में सहायक है और गैस, अपच जैसी समस्याओं को कम करता है।
- इसके अलावा, यह शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में भी मदद करता है।
उपयोग
- पावन व्रत और उपवास के समय लोग अक्सर सफेद नमक की जगह सेंधा नमक का उपयोग करते हैं,
- क्योंकि यह प्राकृतिक और खनिजों से भरपूर होता है।
- हालांकि, रोजमर्रा के भोजन में शरीर को पर्याप्त आयोडीन मिलने के लिए सफेद नमक का सेवन जरूरी है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों नमकों का मिश्रित उपयोग सबसे बेहतर है.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है।
