उज्जैन में दशहरा पर्व से पहले अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने उज्जैन में रावण दहन का विरोध किया। समाज के सदस्यों ने दशहरा मैदान पर पहुंचकर रावण के पुतले के सामने नारेबाजी की और विरोध स्वरूप काली मटकियां फोड़ी। इस प्रदर्शन में महाकाल मंदिर के पुजारी के अलावा खंडेलवाल और राजपूत समाज के प्रतिनिधि भी शामिल रहे।
संगठन ने साफ कहा कि रावण दहन मनोरंजन का साधन बन गया है, जबकि यह ब्राह्मण समाज के अस्तित्व और सम्मान से जुड़ा मामला है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि रावण दहन पर रोक नहीं लगाई गई तो आंदोलन को देशभर में फैलाया जाएगा।
पूर्व में भी की मांगें
ब्राह्मण समाज ने इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर रावण दहन बंद करने की मांग की थी। उज्जैन ही नहीं, बल्कि कई अन्य जगहों पर भी समाज ने रावण के गुणगान वाले पोस्टर लगाए थे। उनका कहना है कि अब रावण दहन शास्त्रसम्मत परंपरा नहीं रह गया है, बल्कि राजनीति और मनोरंजन का साधन बन गया है।
परंपरा का उल्लंघन
महेश पुजारी ने कहा कि देश और प्रदेश में हो रहे रावण दहन शास्त्रसम्मत नहीं हैं। यह केवल मनोरंजन और राजनीति का माध्यम बन गया है। उन्होंने संबंधित संस्थाओं से आग्रह किया कि रावण दहन पर रोक लगाई जाए, अन्यथा समाज हर स्तर पर इसका विरोध करेगा।
न्यायालय का सहारा
ब्राह्मण समाज ने कहा कि जैसे पहले इंदौर में रघुवंशी समाज ने रावण पुतले पर आपत्ति दर्ज कर हाईकोर्ट से रोक लगवाई थी, वैसे ही वे भी अपने सम्मान की रक्षा के लिए न्यायालय की शरण लेंगे। संगठन ने दोहराया कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो व्यापक आंदोलन किया जाएगा।
प्रशासन को संदेश
इस प्रदर्शन के जरिए ब्राह्मण समाज ने यह संदेश दिया कि दशहरा जैसे धार्मिक पर्वों में परंपरा और सम्मान की रक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रशासन और जनता से अपील की कि वे भी इस मामले में संवेदनशील रहें और समाज के सम्मान का ख्याल रखें।