केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को छत्तीसगढ़ के बस्तर पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने यहां माँ दंतेश्वरी के दर्शन किए। इसके बाद जगदलपुर के ‘बस्तर दशहरा लोकोत्सव’ और ‘स्वदेशी मेला’ में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए उन्होंने नक्सलियों को अंतिम चेतावनी दी और कहा कि अब बातचीत करने वाली स्थिति नहीं बची है, उन्हें हथियार डालकर आत्मसमर्पण ही करना होगा।
शाह ने साफ कहा कि केंद्र और राज्य दोनों की नीयत स्पष्ट है कि नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने और प्रभावित इलाकों का समग्र विकास सुनिश्चित करने का काम जारी रहेगा। उन्होंने विकास की तेज़ रफ्तार का हवाला देते हुए कहा कि पिछले दस सालों में केंद्र ने छत्तीसगढ़ के विकास के लिए बड़े पैमाने पर संसाधन दिए हैं।
मुख्य संदेश
केंद्रीय गृह मंत्री ने लोगों को भरोसा दिलाया कि सरकार ने नक्सलियों के लिए एक लाभकारी आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति बनाई है। उन्होंने बार-बार कहा कि इसका उपयोग कर नक्सली सुरक्षित तरीके से हथियार छोड़कर समाज में लौट सकते हैं। अमित शाह ने समय सीमा भी दी कि 31 मार्च, 2026 तक इस रास्ते का लाभ उठाने का मौका है। इसके बाद सुरक्षा बल कड़ी कार्रवाइयों के साथ शांति भंग करने वालों के खिलाफ सख्ती बरतेंगे, ताकि आम लोगों का विकास बाधित न हो।
विकास का वादा
शाह ने कहा कि कुछ लोग अभी भी यह कहते हैं कि नक्सलवाद विकास की लड़ाई था, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वास्तविकता उल्टी है। नक्सलवाद ने बस्तर को विकास से वंचित रखा है। इसलिए नक्सलवाद को रोकना ही इस क्षेत्र के लोगों का भला है। साथ ही, उन्होंने स्थानीय जनता से अपील की कि वे ऐसे लोगों को मुख्यधारा में लौटने के लिए समझाएँ और सरकार के विकास परियोजनाओं में भाग लें।
उन्होंने यह भी बताया कि कल वे काजीरंगा और अन्य स्थानों पर वन्य पर्यटन और विकास से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे तथा प्रदेश के साथ व्यापार-सम्बन्ध मजबूत करने की कोशिश करेंगे।