तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने ओबीसी वर्ग के लिए बढ़ाए गए आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार की अर्जी को खारिज कर दिया है। यानी फिलहाल ओबीसी के लिए आरक्षण बढ़ाने का फैसला लागू नहीं होगा।
मामला दरअसल राज्य सरकार के उस आदेश से जुड़ा है, जिसमें ओबीसी समुदाय के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तक बढ़ाने की बात कही गई थी। कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में इस फैसले को पारित कर दिया था और इसे लागू करने की तैयारी भी कर ली थी। लेकिन हाईकोर्ट में कुछ लोगों ने इसे चुनौती दी। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही तय कर चुका है कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ज़्यादा नहीं हो सकती।
अंतरिम रोक
हाईकोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद सरकार के फैसले पर फिलहाल अंतरिम रोक लगा दी थी। इस फैसले से नाराज़ रेवंत रेड्डी सरकार ने सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। राज्य सरकार ने दलील दी कि उनका फैसला सामाजिक न्याय के सिद्धांत पर आधारित है और ओबीसी वर्ग को बराबरी का हक देने के लिए यह कदम जरूरी था।
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार की बात नहीं मानी। अदालत ने साफ कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि आरक्षण की सीमा तय करने के मामले में पहले से सुप्रीम कोर्ट के कई स्पष्ट निर्देश हैं, जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता।
रेड्डी सरकार की मुश्किलें
अब इस फैसले के बाद रेवंत रेड्डी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सरकार ने इस कदम को अपने बड़े सामाजिक और राजनीतिक एजेंडे के तौर पर पेश किया था। ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए इसे अहम कदम माना जा रहा था। लेकिन अब अदालत की रोक के चलते यह योजना ठंडी पड़ती दिख रही है।
राजनीतिक हलकों में इस फैसले को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं हैं। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि वे सामाजिक न्याय के लिए लड़ाई जारी रखेंगे, जबकि विपक्ष ने सरकार पर केवल वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है।
फैसला साफ
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला साफ करता है कि बिना कानूनी आधार के आरक्षण की सीमा को बढ़ाना आसान नहीं होगा। सरकार को अब या तो कोर्ट में अपने तर्क मजबूत करने होंगे या फिर विधानसभा में कोई नया रास्ता निकालना होगा।
राज्य के कई ओबीसी संगठन अब इस फैसले के बाद रणनीति बना रहे हैं। कुछ संगठन फिर से कोर्ट में पक्ष रखने की तैयारी में हैं, वहीं कुछ ने सरकार से अपील की है कि वे कानूनी दायरे में रहकर आरक्षण बढ़ाने का नया रास्ता निकालें।
