सिवनी के चर्चित हवाला कैश लूट कांड की परतें अब एक-एक करके खुलती जा रही हैं। इस पूरे मामले ने न सिर्फ सिवनी पुलिस की साख पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि जबलपुर पुलिस अफसरों तक इसकी गूंज पहुंच गई है। बताया जा रहा है कि हवाला की खबर सबसे पहले जबलपुर के एडिशनल एसपी जितेंद्र सिंह और सीएसपी उदय भान बागड़ी तक पहुंची थी, लेकिन दोनों ने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। इसके बाद मामला कुछ ऐसे घूम गया कि वर्दी पहने लोग ही लूटेरों में बदल गए।
जानें पूरा मामला
पूरा मामला 8 और 9 अक्टूबर की दरमियानी रात का है। हवाला कारोबारियों के बीच चल रही रंजिश के चलते जबलपुर के हवाला व्यापारी पंचू गोस्वामी के जरिए एक गोपनीय सूचना क्राइम ब्रांच के आरक्षक प्रमोद और रोहित तक पहुंचती है। दोनों सिपाही अपने उच्च अधिकारियों सीएसपी बागड़ी और एडिशनल एसपी जितेंद्र सिंह को जानकारी देते हैं। लेकिन दोनों अफसर पुलिस अधीक्षक संपत लाल उपाध्याय की गैरहाजिरी का हवाला देकर कुछ भी करने से मना कर देते हैं।
इसके बाद एक सिपाही यह सूचना अपने पुराने अधिकारी, पूर्व सीएसपी और फिलहाल बालाघाट हॉक फोर्स में पदस्थ डीएसपी पंकज मिश्रा को देता है। मिश्रा ये सूचना अपने बैचमेट, सिवनी की एसडीओपी पूजा पांडे तक पहुंचाते हैं। इसके बाद जो हुआ, वो पुलिस विभाग के इतिहास में शर्मनाक दर्ज हुआ।
टीम का गठन
पूजा पांडे के नेतृत्व में एक टीम बनाई जाती है और सिवनी के पास एक कार को रोका जाता है जिसमें लगभग 2 करोड़ 96 लाख 50 हजार रुपये हवाला के थे। टीम के जवान कार सवारों को पकड़कर सुनसान जंगल में ले जाते हैं, मारपीट करते हैं और पूरा कैश लूट लेते हैं। बाद में यह तय होता है कि रकम का आधा हिस्सा “वापस” कर दिया जाएगा, लेकिन जब महाराष्ट्र के जालना में रकम की गिनती होती है तो 26 लाख 50 हजार रुपये कम निकलते हैं।
खबर फैलते ही हड़कंप
यहीं से खेल बिगड़ जाता है। जालना के व्यापारी सोहनलाल परमार अपने लोहों के साथ सीधे सिवनी पहुंच जाते हैं और पुलिस अफसरों के दफ्तरों के बाहर डेरा डाल देते हैं। दो दिन तक यह विवाद दबा रहता है, लेकिन 9 अक्टूबर की दोपहर तक मामला मीडिया में लीक हो जाता है। खबर फैलते ही हड़कंप मच जाता है।
डीआईजी राकेश कुमार सिंह इस पूरे प्रकरण पर तुरंत संज्ञान लेते हैं और आईजी प्रमोद वर्मा को जानकारी देते हैं। इसके बाद पूरा मामला सरकार के कानों तक पहुंच जाता है। मुख्यमंत्री मोहन यादव खुद स्थिति पर अपडेट लेते हैं और जांच के निर्देश देते हैं।
11 पुलिसकर्मी आरोपी
अब तक की कार्रवाई में पूजा पांडे समेत 11 पुलिसकर्मी आरोपी बनाए जा चुके हैं। कई अन्य अफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में कुछ और “बड़े नाम” इस लूटकांड में फंस सकते हैं। इस पूरे मामले ने साफ कर दिया है कि हवाला के पैसे के लालच में किस तरह पुलिस की वर्दी का सम्मान दांव पर लग गया। अगर समय रहते डीआईजी राकेश सिंह दखल न देते तो शायद यह मामला भी दब जाता और 3 करोड़ की यह “डकैती” किसी फाइल में दबी रह जाती।
