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मंदसौर: भानपुरा प्रकरण में अभाविप का सफाया, बिना तथ्य के राजनीति करना शर्मनाक

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Published On: 18 October 2025

मंदसौर के 14 अक्टूबर 2025 को भानपुरा स्थित शासकीय महाविद्यालय में हुए युवा उत्सव के दौरान हुई घटना को लेकर अभाविप ने स्पष्ट किया है कि कुछ राजनैतिक दलों द्वारा तथ्यों को तोड़-मरोड़कर उनका इस्तेमाल किया जा रहा है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कहा कि बिना प्रमाण और जांच के अफवाह फैलाना और उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास करना पूरी तरह गलत है।

अभाविप ने बताया कि उत्सव के दौरान कुछ कार्यकर्ताओं ने महाविद्यालय के कैंटीन रूम में पंखे की स्थिति देख संदेहवश झाँका। यह कोई “गर्ल्स कॉमन रूम” नहीं था, और किसी भी तरह की अनुचित गतिविधि नहीं हुई। हालांकि कुछ छात्राओं को यह भ्रम हुआ कि फोटो या वीडियो लिए गए हैं, जिसके बाद प्राचार्य ने सीसीटीवी फुटेज पुलिस को सौंप दी।

जांच में आया सामने

पुलिस की जांच में यह तथ्य सामने आया कि किसी भी छात्र या कार्यकर्ता द्वारा कोई अनुचित कार्य नहीं किया गया। मोबाइल और अन्य उपकरणों की जांच में भी कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली। अभाविप ने घटना के प्रथम दिन ही अपने दो जिम्मेदार कार्यकर्ताओं को अस्थायी रूप से दायित्व से मुक्त किया था, ताकि मामले की निष्पक्षता बनी रहे।

राष्ट्रीय मंत्री कु. शालिनी वर्मा ने कहा कि NSUI जैसे संगठन बिना जांच और तथ्य जाने अफवाहें फैला रहे हैं, ताकि अपने राजनीतिक फायदे के लिए अभाविप की छवि धूमिल की जा सके। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले महाविद्यालय में छात्र हितों की रक्षा के लिए अभाविप ने प्रदर्शन किया था, जिससे प्राचार्य नाराज हो गई थीं। इस पूर्वाग्रह के कारण प्राचार्य ने घटना को असत्य रूप में पेश किया।

अफवाह के खिलाफ सख्ती

अभाविप ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य हमेशा परिसर में सुरक्षित, सम्मानजनक और सकारात्मक वातावरण बनाए रखना रहा है। संगठन के कार्यकर्ताओं ने न तो किसी की निजता का उल्लंघन किया और न ही किसी प्रकार का अनुचित कृत्य किया। पुलिस की जांच ने इसे साबित कर दिया है। अभाविप ने सभी से अपील की कि बिना जांच और प्रमाण के किसी भी घटना का राजनीतिकरण न किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि संगठन अपने कार्यकर्ताओं के अधिकार और गरिमा की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और किसी भी तरह की झूठी अफवाह के खिलाफ सख्ती से खड़ा रहेगा।

इस घटना ने यह साबित कर दिया कि तथ्यात्मक जांच के बिना फैलाए गए दुष्प्रचार से न केवल विद्यार्थियों की छवि प्रभावित होती है, बल्कि शिक्षा संस्थानों में अनुशासन और नैतिकता पर भी सवाल खड़े होते हैं। अभाविप का कहना है कि वे हमेशा नैतिकता और अनुशासन के सिद्धांतों पर कायम रहेंगे।

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