भारत के मशहूर ऐड गुरु और ‘अबकी बार मोदी सरकार’ जैसे ऐतिहासिक कैंपेन के निर्माता पीयूष पांडे का 70 साल की उम्र में निधन हो गया। फेविकोल से लेकर कैडबरी तक, उन्होंने ऐसे यादगार विज्ञापन बनाए जो भारतीय दर्शकों के दिल में बस गए। उनकी क्रिएटिविटी ने भारतीय ऐड इंडस्ट्री को नई पहचान दी।
भारतीय विज्ञापन जगत के सबसे बड़े नामों में से एक, पीयूष पांडे अब हमारे बीच नहीं रहे। 70 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें कुछ दिनों से इन्फेक्शन था, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई। उनका अंतिम संस्कार कल किया जाएगा। पीयूष पांडे ने 1980 के दशक में अपने करियर की शुरुआत की थी और बहुत जल्द भारतीय ऐड इंडस्ट्री का चेहरा बदल दिया। उन्होंने ऐसे विज्ञापन बनाए जो सिर्फ प्रोडक्ट नहीं बेचते थे, बल्कि लोगों के दिल में जगह बना लेते थे।
फेविकोल से लेकर कैडबरी तक
पीयूष पांडे ने 1982 में ओगिल्वी (Ogilvy) से जुड़कर अपने करियर की नींव रखी। उनका पहला विज्ञापन सनलाइट डिटर्जेंट के लिए था। लेकिन फेविकोल का “जुड़ गया तो छूटेगा नहीं” और कैडबरी डेयरी मिल्क का “कुछ खास है…” जैसे ऐड्स ने उन्हें देशभर में मशहूर कर दिया। उन्होंने ‘अबकी बार मोदी सरकार’ जैसे राजनीतिक कैंपेन की रचना की, जिसने चुनावी इतिहास में एक नया ट्रेंड शुरू किया। इसके अलावा अमिताभ बच्चन वाला पोलियो कैंपेन और एशियन पेंट्स के दिल छू लेने वाले ऐड्स भी उनके ही दिमाग की उपज थे। उन्होंने लूना मोपेड, फॉर्च्यून ऑयल, और कई अन्य ब्रांडों के लिए भी शानदार ऐड बनाए। पीयूष ने सिर्फ विज्ञापन नहीं बनाए, उन्होंने कहानियां सुनाईं, जो हर उम्र और हर वर्ग के लोगों को जोड़ती थीं।
विज्ञापन से लेकर फिल्मों तक
- कम लोग जानते हैं कि पीयूष पांडे प्रसिद्ध गायिका इला अरुण के भाई थे। उनके एक और भाई प्रसून पांडे भी नामी फिल्ममेकर हैं। पीयूष ने सिर्फ ऐड वर्ल्ड में ही नहीं, बल्कि फिल्मों में भी काम किया।
- साल 2013 में वे जॉन अब्राहम और नरगिस फाखरी की फिल्म ‘Madras Café’ में नजर आए थे, जहां उन्होंने कैबिनेट सेक्रेटरी का किरदार निभाया था। करीब चार दशक तक उन्होंने भारतीय विज्ञापन जगत को दिशा दी।
- उनके नेतृत्व में Ogilvy India को लगातार 12 साल तक The Economic Times के सर्वे में नंबर 1 एजेंसी का दर्जा मिला। उनके बनाए ऐड्स को कई इंटरनेशनल अवॉर्ड्स मिले और खुद उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
रचनात्मक सोच जिसने देश बदल दिया
पीयूष पांडे का नाम सिर्फ विज्ञापनों तक सीमित नहीं था। उन्होंने भारत की सोच, भाषा और ह्यूमर को विज्ञापनों में उतारा। उनका बनाया ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ आज भी देश की एकता की पहचान माना जाता है।
उनके बनाए ऐड्स ने ब्रांड्स को पॉपुलर बनाने के साथ-साथ लोगों की भावनाओं को भी छुआ। उनकी सोच थी कि एक अच्छा ऐड सिर्फ प्रोडक्ट नहीं बेचता, वो कहानी कहता है।
उनकी क्रिएटिविटी और भाषा पर पकड़ ने उन्हें ऐसा लेजेंड बना दिया, जिसकी जगह कोई नहीं ले सकता। सोशल मीडिया पर इंडस्ट्री के लोग और फैंस उनके योगदान को याद कर रहे हैं।
