नहाय-खाय के साथ शुरू हुई छठ पूजा, लोक आस्था का महापर्व; जानें इसका धार्मिक महत्व

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Published On: 25 October 2025

छठ पूजा, जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित आस्था का लोकपर्व है, इस साल यह त्योहार आज से शुरू हो रहा है। यह चार दिवसीय पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसके तहत श्रद्धालु स्वच्छता और शुद्धता का ध्यान रखते हुए व्रत का प्रारंभ करते हैं। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का प्रमुख माध्यम है और लोगों में प्रकृति एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी काम करता है।

लोक आस्था और संस्कृति का महापर्व छठ पूजा आज से शुरू हो रहा है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा चार दिवसीय होती है, जिसमें पहले दिन नहाय-खाय की परंपरा निभाई जाती है।

नहाय-खाय

छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो व्रती महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन महिलाएं पवित्र नदी या गंगा में स्नान कर शरीर और मन को शुद्ध करती हैं। यदि नदी उपलब्ध न हो तो घर पर ही पवित्र जल से स्नान करके पूरे घर की सफाई और शुद्धिकरण किया जाता है। नहाय-खाय के माध्यम से व्रती छठ पूजा की तैयारियों की शुरुआत करती हैं और इस दिन विशेष भोजन ग्रहण किया जाता है।

महत्व

छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो व्रती महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रती पवित्र जल से स्नान करके घर की साफ-सफाई और शुद्धिकरण करती है। नहाय-खाय के माध्यम से व्रती अपने मन और शरीर को शुद्ध करके छठ पूजा की तैयारियाँ शुरू करती हैं। यह परंपरा व्रत की पवित्रता और आस्था को दर्शाती है।

विधि

  • छठ पर्व में व्रती इस दिन केवल एक बार सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं।
  • जिसमें सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है।
  • परंपरागत रूप से इस दिन लौकी की सब्जी, चना दाल और चावल का सेवन किया जाता है।
  • भोजन पकाने के दौरान भी साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

खरना

छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करती हैं, खरना के दिन व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखती हैं। शाम को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से गुड़ की खीर और घी लगी रोटी बनाई जाती है। सूर्य देव की पूजा के बाद व्रती सबसे पहले यह प्रसाद ग्रहण करती हैं। प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती अगले दिन सूर्य को अर्घ्य देने तक अन्न-जल का त्याग करती हैं।

डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है।

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