MP में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से हाल ही में 26 बच्चों की मौतों के मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उप मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल का इस्तीफा मांगा। उन्होंने कहा कि यह केवल एक स्वास्थ्य त्रासदी नहीं, बल्कि मानव जीवन के साथ खिलवाड़ और भ्रष्टाचार का उदाहरण है। दिग्विजय सिंह ने बताया कि परासिया में बच्चों को जो कफ सिरप दिया गया, उसमें डाय-एथिलीन ग्लायकॉल (DEG) की मात्रा 48.6 प्रतिशत पाई गई, जबकि स्वीकृत सीमा सिर्फ 0.1 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ जहर था, जिसे बच्चों को पिलाया गया।
पूर्व सीएम ने उप मुख्यमंत्री पर 2 अक्टूबर को क्लीन चिट देने का आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे व्यक्ति को इस्तीफा देना चाहिए था। उन्होंने चेतावनी दी कि यह मामला सिर्फ मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के स्वास्थ्य मानकों और औषधि नियंत्रण प्रणाली की विफलता को भी उजागर करता है।
भाजपा और दवा कंपनियों पर गंभीर आरोप
दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा ने 945 करोड़ रुपए का चंदा दवा कंपनियों से लिया, जिनमें से 35 फर्मों की दवाओं की गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं पाई गई। उन्होंने कहा कि यह पैसा लेकर कंपनियों ने “दवा बेचो, कमीशन लो” का खेल खेला। साथ ही, उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और CDSCO पर सवाल उठाया कि गाम्बिया (2022) और उज्बेकिस्तान (2023) में हुई DEG दुर्घटनाओं के बाद भी भारत में जहरीली दवाओं की बिक्री क्यों जारी रही। CDSCO ने सिर्फ 9 प्रतिशत फैक्ट्रियों का निरीक्षण किया, जिनमें से 36 प्रतिशत फेल थीं।
जिम्मेदारी की जांच का मुद्दा
पूर्व सीएम ने कहा कि राज्य स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री और सह-अध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री हैं, लेकिन इस समिति ने सिरप की बिक्री और गुणवत्ता पर कोई निगरानी नहीं रखी। उन्होंने पूछा कि सरकारी संस्थाओं ने सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में गुणवत्ता नियंत्रण और PPP मॉडलों का पालन क्यों नहीं किया।

मुख्य सचिव से भी सवाल उठाए गए कि API टेस्टिंग, GMP और मेथड ऑफ एनालिसिस के तहत जिम्मेदारियां क्यों नजरअंदाज की गई। उन्होंने CAG की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि MP Public Health Services Corporation पर देरी और अतिरिक्त खर्च के आरोप मिले, बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नहीं की।
बच्चों की सुरक्षा और मानव जीवन की कीमत
दिग्विजय ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल राजनीति नहीं है। यह बच्चों की सुरक्षा, जीवन और स्वास्थ्य प्रणाली की विश्वसनीयता से जुड़ा है। उन्होंने केंद्र के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से भी सवाल किए कि भारत में नकली और जहरीली दवाओं की बिक्री क्यों रोकी नहीं गई। उन्होंने यह भी पूछा कि जन औषधि केंद्रों और निजी चिकित्सकों के माध्यम से जहरीली दवा कैसे आम जनता तक पहुंचती रही, जबकि टेंडर प्रक्रियाओं में Certificate of Suitability और Type-I Drug Master File अनिवार्य थे।
