मध्य प्रदेश में 2025 उद्योग एवं रोजगार वर्ष के नाम पर जो सपने दिखाए गए थे, वे अब हकीकत में टूटते नजर आ रहे हैं। विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश को कर्ज और करप्शन का केंद्र बना दिया है। सरकार ने दावा किया था कि एक साल में 30.77 लाख करोड़ रुपये का निवेश आएगा, लेकिन आधिकारिक दस्तावेज बताते हैं कि सिर्फ 6.20 लाख करोड़ की योजनाएं ही आगे बढ़ सकी हैं। बाक़ी सब कागजों में ही अटकी पड़ी हैं।
“रोजगार का आंकड़ा शून्य”
विपक्षी नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री ने लाखों रोजगार देने का वादा किया था, मगर जमीनी सच्चाई कुछ और है। रोजगार का आंकड़ा शून्य पर अटका है। कथित निवेश वाले आठ विभागों में भी प्रगति नगण्य रही। उद्योग विभाग में 12.70 लाख करोड़ के प्रस्ताव में से सिर्फ 2.48 लाख करोड़, नवीकरणीय ऊर्जा में 5.72 लाख करोड़ में से 1.78 लाख करोड़, और पीडब्ल्यूडी के 1.30 लाख करोड़ में से सिर्फ 8 हजार करोड़ ही आगे बढ़े। बाकी विभागों आवास, स्वास्थ्य, कौशल विकास, नागरिक उड्डयन की “गाड़ी” अब तक स्टार्ट भी नहीं हुई।
इश्तेहारों की सरकार
विपक्ष का कहना है कि सरकार निवेश और रोजगार की बातों को शो-पीस बना चुकी है। बड़े मंच, बड़े पोस्टर और झूठे वादों के सहारे “रोजगार वर्ष” को “बेरोजगार वर्ष” में बदल दिया गया है। गांवों से लेकर शहरों तक बेरोजगारी और महंगाई की मार झेल रहे युवा अब सरकार के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं। विपक्ष ने कहा है कि अगर मुख्यमंत्री में साहस है, तो वे अपने उद्योग एवं रोजगार वर्ष का सच्चा रिपोर्ट कार्ड पेश करें। बताएं कि कितनी फैक्ट्रियां लगीं, कितने युवाओं को नौकरी मिली और किस जिले में कितना निवेश पहुंचा।
मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले एक साल “0” लोगों को रोजगार दिया है। बीजेपी सरकार ने रोजगार सृजन के नाम पर सिर्फ़ दावे किए हैं, हकीकत में कुछ नहीं किया। प्रदेश का युवा आज भी बेरोजगारी की मार झेल रहा है। सरकार ने उद्योग, निवेश और विकास की बड़ी-बड़ी बातें कीं, लेकिन धरातल पर परिणाम शून्य…
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) October 30, 2025
जनता अब नतीजे चाहती है
विपक्ष का कहना है कि अब जनता आंकड़ों की बाजीगरी नहीं, नतीजे चाहती है। “निवेश-नौटंकी” और “इवेंट-संस्कृति” से बाहर निकलकर सरकार को ईमानदारी से जवाब देना होगा, क्योंकि मप्र अब ठोस बदलाव की ओर बढ़ना चाहता है।
