देश की पश्चिमी सीमाओं के पास थल, नौसेना और वायुसेना मिलकर एक बड़ा संयुक्त युद्धाभ्यास ऑपरेशन त्रिशूल शुरू कर दिया गया है, जो राजस्थान व गुजरात के सीमाई इलाकों में चल रहा है और 10 नवंबर तक चलेगा; इस अभ्यास में जमीन, हवा और समुद्र साथ ही स्पेशल फोर्सेज और आधुनिक हथियार प्रणालियों को शामिल कर तीनों सेनाओं की संयुक्त युद्धक क्षमता और इंटरऑपरेबिलिटी का परीक्षण किया जा रहा है। इसे ऑपरेशन सिंदूर के कुछ महीनों बाद आयोजित किया गया बताया जा रहा है और इसे सिर्फ प्रशिक्षण नहीं बल्कि पश्चिमी सीमा पर एक निर्णायक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है कि किसी भी प्रकार की हिमाकत का जवाब सीमा पर ही नहीं, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर सीमा पार तक भी दिया जा सकता है।
देश की पश्चिमी सीमाओं पर तीनों सेनाओं का संयुक्त सैन्य अभ्यास ऑपरेशन त्रिशूल शुरू हो गया है। यह अभ्यास 10 नवंबर तक चलेगा और इसमें भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की सामूहिक युद्धक क्षमताओं का परीक्षण किया जाएगा।
25,000 जवान हुए तैनात
त्रिशूल अभ्यास में तीनों सेनाओं, थल सेना, वायुसेना और नौसेना ने भाग लिया है, जिसमें कुल मिलाकर 25,000 से अधिक जवान तैनात हैं। इस अभ्यास में वायुसेना के राफेल और सुखोई जैसे अग्रिम लड़ाकू विमान, ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल प्रणाली शामिल हैं, जो पहले ऑपरेशन सिंदूर में भी इस्तेमाल हो चुकी हैं। इसके अलावा, युद्धक टैंक, इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल, लड़ाकू हेलिकॉप्टर, लंबी दूरी की आर्टिलरी प्रणाली, ड्रोन और नौसेना के युद्धपोत भी अभ्यास का हिस्सा हैं।
मल्टी-डोमेन का हुआ परीक्षण
देश की रक्षा प्रणालियों को आधुनिक संघर्ष के अनुरूप तैयार करने के उद्देश्य से चल रहे ‘त्रिशूल’ अभ्यास का एक मुख्य लक्ष्य मल्टी-डोमेन ऑपरेशन का परीक्षण है। जिसमें जमीन, समुद्र व हवा के साथ-साथ साइबर, इलेक्ट्रॉनिक और अंतरिक्ष जैसे नए क्षेत्रों को भी समाहित कर के सभी मोर्चों पर समन्वित कार्रवाई की क्षमता को आजमाया जा रहा है; वरिष्ठ सैन्य सूत्रों के अनुसार यह प्लेटफ़ॉर्म-आधारित रणनीतिक प्रशिक्षण पारंपरिक युद्धभूमि की सीमाओं को पार कर व्यवहारिक परिस्थितियों में बहु-क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करने की तैयारियों को मजबूती देता है।
राष्ट्रीय रक्षा का विस्तार हुआ मजबूत
देश की रक्षा प्रणालियों को आधुनिक संघर्ष के अनुरूप तैयार करने के उद्देश्य से चल रहे ‘त्रिशूल’ अभ्यास का मुख्य लक्ष्य मल्टी‑डोमेन ऑपरेशन का परीक्षण है। इस अभ्यास में जमीन, समुद्र व हवा के साथ-साथ साइबर, इलेक्ट्रॉनिक और अंतरिक्ष जैसे नए क्षेत्रों को भी शामिल कर सभी मोर्चों पर समन्वित कार्रवाई की क्षमता आजमाई जा रही है। वरिष्ठ सैन्य सूत्रों के अनुसार यह प्लेटफ़ॉर्म‑आधारित रणनीतिक प्रशिक्षण पारंपरिक युद्धभूमि की सीमाओं को पार कर वास्तविक परिस्थितियों में बहु‑क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करने की तैयारियों को और अधिक मजबूत करता है।
