अलीराजपुर जिले के जोबट विधानसभा क्षेत्र के डाबड़ी गांव में आयोजित “आदिवासी अधिकार यात्रा” में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। मंच पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी और आदिवासी समुदाय की भारी भागीदारी ने इसे एक जनआंदोलन का रूप दे दिया। कार्यक्रम का मुख्य विषय था, “जल, जंगल, जमीन और संविधान की रक्षा।” जनसभा में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया, सह प्रभारी संजय दत्त, आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रांत भूरिया, और कई विधायकों ने शिरकत की। स्थानीय स्तर पर जिला अध्यक्ष मुकेश पटेल, महेश पटेल, और स्वतंत्र जोशी सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने कार्यक्रम को सफल बनाया।
मंच से संबोधित करते हुए जीतू पटवारी ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “जब इंदिरा गांधी ने आदिवासियों की जमीन की रक्षा के लिए कानून बनाया था, तो आज वही जमीन गैर-आदिवासियों के पास कैसे पहुंच गई? सिर्फ छह साल में 1,20,000 एकड़ जमीन आदिवासियों से छीन ली गई ये लूट है, शासन नहीं।”
देना होगा सरकार को हिसाब
पटवारी ने आगे कहा कि आदिवासी मद के 1.20 लाख करोड़ रुपए का हिसाब सरकार को देना होगा। उन्होंने वादा किया कि कांग्रेस की सरकार बनने पर “किसी भी व्यापारी या नेता द्वारा खरीदी गई आदिवासी जमीन वापस उन्हीं को लौटाई जाएगी।” साथ ही यह भी घोषणा की, “मक्का ₹2500, सोयाबीन ₹6000, गेहूं ₹3100 और धान ₹4000 से नीचे नहीं बिकेगा।” उमंग सिंघार ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार सिर्फ “किसानों की आय दोगुनी” की बात करती है, लेकिन आदिवासी किसानों की बात कभी नहीं करती। उन्होंने कहा, “मक्का आदिवासी किसानों की रीढ़ है, लेकिन सरकार ने कभी इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की बात नहीं की। बीजेपी सिर्फ बड़े किसानों की सुनती है, छोटे किसानों की नहीं।”
किसानों के साथ भाजपा सिर्फ छलावा करती है!
फसलों का सही मूल्य और न्याय केवल कांग्रेस सरकार में ही संभव है!📍डाबड़ी (जोबट) pic.twitter.com/SgfnAdIJs3
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) November 12, 2025
लगाए नारे
सभा के दौरान ग्रामीणों ने कांग्रेस के “जल, जंगल, जमीन और संविधान की रक्षा” के संकल्प के समर्थन में नारे लगाए और आगामी चुनाव में पार्टी को समर्थन देने की बात कही। कार्यक्रम के अंत में नेताओं ने एक सुर में कहा, “यह यात्रा केवल रैली नहीं, हक और सम्मान की लड़ाई है, जो तब तक जारी रहेगी जब तक आदिवासियों को उनका अधिकार वापस नहीं मिलता।” डाबड़ी की यह सभा कांग्रेस की आदिवासी नीति को नई ऊर्जा देने वाली साबित हुई, जहां भीड़ ने साफ संकेत दिया कि आने वाले वक्त में आदिवासी इलाकों की राजनीति फिर करवट लेने वाली है।
