MP में ठंड ने इस बार लोगों को जमकर परेशान कर दिया है। रविवार की रात भोपाल में ऐसी सर्दी पड़ी कि पिछले 84 साल का रिकॉर्ड टूट गया। यहां तापमान 5.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ, जो नवंबर के इतिहास में सबसे कम है। सिर्फ एक रात में पारा 1.2 डिग्री नीचे खिसक गया। इससे पहले 1941 में नवंबर में सबसे कम तापमान 6.1 डिग्री दर्ज हुआ था। इंदौर भी ठंड से कांप रहा है। यहां तापमान 7.2 डिग्री दर्ज किया गया, जो पिछले 25 साल का रिकॉर्ड छू रहा है। उधर राजगढ़ में तो पारा 5 डिग्री तक पहुंच गया, जो इस सीजन का अब तक का सबसे लो लेवल है। ग्वालियर में 9.8, उज्जैन में 9.6 और जबलपुर में 9.3 डिग्री तापमान रहा। कुल मिलाकर पूरा प्रदेश कड़कड़ाती ठंड की चपेट में है।
मौसम विभाग का कहना है कि अभी रात का पारा कई जिलों में 12 डिग्री से नीचे ही रहने वाला है। अगले दो दिनों तक कुछ हिस्सों में और भी तेज सर्दी चल सकती है, क्योंकि शीतलहर का अलर्ट जारी है।
ठिठुरते हुए जा रहे बच्चे
इतनी ठंड के बाद भी कई जिलों में स्कूलों की टाइमिंग नहीं बदली गई है, जिससे सबसे ज्यादा मुसीबत बच्चों को झेलनी पड़ रही है। भोपाल में ज्यादातर स्कूल सुबह 7.30 बजे शुरू हो जाते हैं। कई बच्चों की वैन और बसें तो 6.30 बजे ही लेने पहुंच जाती हैं। इतनी ठंड में नींद में भरे बच्चे कांपते हुए स्कूल पहुंच रहे हैं। पेरेंट्स का कहना है कि इससे बच्चों की सेहत बिगड़ रही है और प्रशासन को तुरंत समय बदलना चाहिए।
कलेक्टरों ने कही ये बात
भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि इस मुद्दे पर जिला शिक्षा अधिकारी से चर्चा की जाएगी और जरूरत पड़ी तो समय बदला जाएगा। जल्द आदेश भी जारी किए जा सकते हैं। इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा का कहना है कि अभी शहर में “कोल्ड डे” जैसी स्थिति नहीं है, लेकिन अगर सोमवार को ज्यादा ठंड बढ़ी तो शिक्षा विभाग के साथ मिलकर स्कूल शुरू होने के समय पर फैसला लिया जाएगा। उज्जैन में शिक्षा विभाग के एडीपीसी गिरीश तिवारी का कहना है कि फिलहाल समय बदलने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन हालात पर नजर रखी जा रही है।
