MP के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने आखिरकार अपने विवादित बयान पर आधिकारिक रूप से माफी मांग ली है। मामला आगर मालवा में आयोजित बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती समारोह का है, जहां भाषण देते हुए मंत्री ने राजा राममोहन राय पर ऐसी टिप्पणी कर दी, जिसने पूरे प्रदेश की राजनीति गर्म कर दी। कार्यक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया और हर तरफ आलोचना होने लगी।
वीडियो में परमार राजा राममोहन राय को “अंग्रेजों का दलाल” बताते सुनाई दे रहे थे। यह शब्द सामने आते ही कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया। पार्टी ने कहा कि यह कोई भूल-चूक नहीं, बल्कि मंत्री की मानसिकता का साफ झलक है। कई नेताओं ने इसे समाज सुधारकों का अपमान बताया और परमार के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी। सोशल मीडिया पर भी लोग दो हिस्सों में बंट गए। कई ने इसे बेहद आपत्तिजनक बताया, तो कुछ ने इसे राजनीतिक बयानबाजी कहकर टाल दिया।
सार्वजनिक दबाव
बढ़ते विवाद और सार्वजनिक दबाव को देखते हुए मंत्री परमार शुजालपुर में मीडिया के सामने आए। उन्होंने एक वीडियो जारी कर कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से राजा राममोहन राय का बहुत सम्मान करते हैं और उनका मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था। उन्होंने कहा कि वह अंग्रेजों की नीतियों पर बोल रहे थे और उसी दौरान “गलत शब्द मुंह से निकल गया”। अपनी बात को मानवीय भूल बताते हुए मंत्री ने कहा, “मैं दुखी हूं, प्रायश्चित करता हूं, मेरा इरादा किसी को अपमानित करने का नहीं था।” परमार ने बार-बार दोहराया कि राजा राममोहन राय समाज सुधार के बड़े नायक थे और उन्होंने देश को नई दिशा दी। मंत्री ने कहा कि उनका पूरा बयान गलत तरीके से पेश किया गया और वह इस विवाद से बेहद व्यथित हैं।
राजनीतिक मजबूरी में किया गया नाटक
उधर, कांग्रेस इस माफी से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं दिखी। पार्टी नेताओं ने कहा कि यह “राजनीतिक मजबूरी में किया गया नाटक” है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार इतिहास को अपने हिसाब से मोड़ने की कोशिश कर रही है और मंत्री का बयान उसी सोच का हिस्सा है। पार्टी ने साफ कहा कि सिर्फ माफी से बात नहीं बनेगी, मंत्री को पद छोड़ना चाहिए। सोशल मीडिया पर भी मामला थमने का नाम नहीं ले रहा। लोग लगातार बहस कर रहे हैं कि यह सचमुच गलती थी या सोच-समझकर दिया गया बयान। लेकिन इतना तय है कि एक लाइन का बयान पूरे प्रदेश की राजनीति को हिलाकर रख गया है।
