विक्रम उद्योगपुरी सोमवार को अचानक अफसरों की हलचल से गूंज उठा। केंद्र के उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव भरत खेड़ा खुद टीम लेकर यहां पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने पेप्सिको और इस्कॉन बालाजी की यूनिट देखी, जहां फैक्ट्री के प्रतिनिधियों ने शुरू से लेकर तैयार प्रोडक्ट तक के क्वालिटी चेक की पूरी प्रक्रिया समझाई। उन्होंने बताया कि कच्चे माल से लेकर पैकिंग तक हर स्टेप पर सेफ्टी का खास ध्यान रखा जाता है। फैक्ट्रियों का दौरा खत्म कर अधिकारियों का दल जब सीईटीपी (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) पहुंचा तो यहां का नज़ारा देख सबकी आंखें खुली की खुली रह गईं।
उन्होंने देखा कि फैक्ट्रियों से निकलने वाला काला-भूरा गंदा पानी कई स्टेप्स की सफाई प्रक्रिया से गुजरकर बिल्कुल क्रिस्टल क्लियर हो जाता है। टीम के कुछ सदस्य तो ये देखकर हैरान रह गए कि टेस्ट कंडीशन में यही पानी पीने लायक भी माना जा सकता है। खेड़ा ने भी इसे देखकर कहा कि ऐसा प्लांट हर इंडस्ट्रियल एरिया में होना चाहिए, ये सच में एक मॉडल प्रोजेक्ट है।
दिया प्रेजेंटेशन
एमपीआईडीसी की टीम ने अधिकारियों को पूरा प्रेजेंटेशन भी दिया। बताया कि विक्रम उद्योगपुरी को इंटरनेशनल लेवल का इंडस्ट्रियल एरिया बनाया जा रहा है। यहां अलग-अलग प्रकार के उद्योगों जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियां, फूड प्रोसेसिंग, बायोटेक, मेडिकल इक्विपमेंट और पर्यावरण आधारित यूनिट्सके लिए अलग ज़ोन तैयार किए गए हैं। प्रेजेंटेशन में सड़क, बिजली, पानी, लॉजिस्टिक, ग्रीन बेल्ट से लेकर रोजगार की संभावनाओं तक हर बात समझाई गई।
दिखाई दिलचस्पी
सीईटीपी प्लांट को लेकर खेड़ा ने खास दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने इसकी क्षमता, पानी लाने की प्रक्रिया और कितनी फैक्ट्रियों को इससे फायदा होगा ये सब पूछा। अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल वीयूएल की सारी फैक्ट्रियों का गंदा पानी टैंकरों से यहां लाया जाता है। प्लांट में पहले प्राथमिक सफाई होती है, फिर जैविक और रासायनिक प्रोसेस से पानी को ट्रीट किया जाता है। इसके बाद फिल्टर और फाइनल ट्रीटमेंट में पानी एकदम साफ होकर निकलता है। भ्रमण के अंत में खेड़ा ने पूरे प्रोजेक्ट की तारीफ की और कहा कि अगर हर इंडस्ट्रियल एरिया में ऐसी टेक्नोलॉजी लग जाए तो देश का औद्योगिक ढांचा एक नए स्तर पर पहुंच सकता है। विक्रम उद्योगपुरी का यह सेटअप सच में एक मिसाल बन सकता है।
