MP में नगर निगम, नगरपालिका और नगर परिषद चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए नियम अब पहले से ज्यादा सख्त हो गए हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने नया नोटिफिकेशन जारी करते हुए साफ कर दिया है कि महापौर, नगरपालिका अध्यक्ष और पार्षद पद के दावेदारों को अब शपथ पत्र में अपने खिलाफ दर्ज हर आपराधिक प्रकरण, चल-अचल संपत्ति, आय, टैक्स और निवेश तक की पूरी जानकारी देनी होगी। अगर किसी उम्मीदवार ने यह डिटेल छुपाई, अधूरी दी या फर्जी जानकारी भरी, तो रिटर्निंग अधिकारी उसकी उम्मीदवारी सीधे रद्द कर देंगे।
नए नियमों में पहली बार यह व्यवस्था भी लागू की गई है कि उम्मीदवारों को प्रतिदिन का चुनावी खर्च उसी तरह बताना पड़ेगा जैसा लोकसभा और विधानसभा चुनाव में होता है। चुनाव खत्म होने के 30 दिनों के भीतर पूरा खर्च आयोग को देना अनिवार्य होगा। विशेष बात यह है कि किसी भी आम नागरिक को केवल 10 रुपये शुल्क देकर किसी भी प्रत्याशी का खर्च रिकॉर्ड देखने का अधिकार होगा।
देना होगा ये ब्योरा
आयोग के आदेश के अनुसार उम्मीदवार को न केवल अपनी आय और संपत्ति बतानी है, बल्कि पत्नी/पति और तीन बच्चों की आय, टैक्स, कर्ज और संयुक्त संपत्ति का भी ब्योरा देना होगा। साथ ही यह भी स्पष्ट करना होगा कि कमाई का स्रोत क्या है? इसके अलावा, जिस तरह बड़े चुनावों में उम्मीदवार अपना मोबाइल नंबर, ई-मेल और सोशल मीडिया अकाउंट देते हैं, अब निकाय चुनाव में भी यह जानकारी अनिवार्य होगी। शपथ पत्र में यह साफ-साफ लिखना होगा कि दो साल या उससे अधिक सजा वाले कितने केस चल रहे हैं, किस थाने में FIR दर्ज है और मामला किस अदालत में लंबित है।
नए नियम
नए नियमों में एक दिलचस्प और पहली बार जुड़ी शर्त यह भी है कि उम्मीदवार को घर में लगे फ्लश शौचालय और जलवाहित शौचालय की जानकारी भी लिखित में देनी होगी। आयोग के मुताबिक यह व्यवस्था स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए जोड़ी गई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा है कि चुनाव में धनबल का खुलेआम दुरुपयोग रोकने के लिए नगरीय विकास और आवास विभाग के साथ मिलकर चुनावी खर्च की अधिकतम सीमा तय की जाएगी। उम्मीदवार को अपना पूरा खर्च एक अलग रजिस्टर में दर्ज करना होगा और भुगतान की हर रसीद रखनी होगी।
प्रदेश के 90% निकायों में यह नियम 2027 में होने वाले चुनावों में लागू होंगे। हालांकि पार्षद के उपचुनाव भी अब इसी नई व्यवस्था से कराए जाएंगे। नए निर्देशों के बाद यह साफ है कि आने वाले समय में निकाय चुनाव पहले से कहीं ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह होने वाले हैं।
