बदरीनाथ धाम में शुरू हुई पंच पूजाओं की पवित्र परंपरा, देवशक्तियों का आगमन हुआ प्रारंभ

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Published On: 23 November 2025

बदरीनाथ धाम में शीतकाल के लिए कपाट बंद होने से पहले होने वाली पंच पूजाएं एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा मानी जाती हैं। आस्था के अनुसार, इन विशेष अनुष्ठानों के दौरान देवशक्तियों का धाम में आगमन प्रारंभ हो जाता है और कपाट बंद होने के बाद पूरे छह महीनों तक भगवान बदरीनाथ की पूजा और सेवा का अधिकार देवताओं को सौंप दिया जाता है। यही कारण है कि कपाट बंद होने से पहले होने वाली ये पंच पूजाएं भक्तों और तीर्थ पुरोहितों के लिए अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक महत्व रखती हैं।

बदरीनाथ धाम में शीतकाल के लिए कपाट बंद होने से पहले होने वाली पंच पूजाएं अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा मानी जाती हैं। मान्यता है कि इन विशेष पूजाओं के दौरान देवशक्तियों का धाम में आगमन शुरू हो जाता है और कपाट बंद होने के बाद आगामी छह महीनों तक भगवान बदरीनाथ की पूजा-अर्चना का दायित्व देवताओं को सौंप दिया जाता है।

पंच पूजा की हई शुरुआत

बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने से ठीक पाँच दिन पहले पंच पूजाओं की परंपरा की शुरुआत हो जाती है। इस दौरान धाम के विभिन्न मंदिरों में वर्ष की अंतिम पूजा संपन्न की जाती है और फिर विधि-विधान के साथ उनके कपाट बंद किए जाते हैं। पंच पूजाओं की शुरुआत सबसे पहले गणेश मंदिर से होती है, जहाँ अंतिम पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के द्वार औपचारिक रूप से बंद कर दिए जाते हैं।

होगा अन्नकूट महोत्सव

पंच पूजाओं के क्रम में दूसरे दिन बदरीनाथ धाम के आदि केदारेश्वर मंदिर में पारंपरिक अन्नकूट महोत्सव आयोजित किया जाता है। इस विशेष अनुष्ठान में भगवान शिव को पके हुए चावलों का भोग लगाया जाता है और शिवलिंग को अन्नकूट के रूप में ढकने की परंपरा निभाई जाती है। पूजा-अर्चना पूरी होने के बाद विधि-विधान के साथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं।

अंतिम तैयारियां शुरू

अगले दिनों होने वाले कार्यक्रमों में तीसरे दिन बदरीनाथ धाम में धार्मिक ग्रंथों का पूजन और वेद मंत्रों के वाचन की अंतिम विधि संपन्न की जाती है। चौथे दिन माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित कर विशेष पूजा की जाती है। इसके बाद मंदिर में कपाट बंद करने की अंतिम तैयारियां शुरू हो जाती हैं। धर्म विशेषज्ञों के अनुसार, बदरीनाथ धाम में सदियों से यह मान्यता रही है कि छह महीने तक पूजा मनुष्यों द्वारा की जाती है, जबकि शीतकाल के दौरान छह महीने पूजा करने का दायित्व देवताओं को सौंप दिया जाता है। पंच पूजाओं की शुरुआत होते ही माना जाता है कि देवशक्तियां धाम में विराजमान हो जाती हैं।

कपाट बंदी प्रक्रिया शुरू

  • बदरीनाथ धाम में कपाट बंद करने की वार्षिक प्रक्रिया 21 नवंबर से विधिवत रूप से शुरू हो गई है।
  • 21 नवंबर को भगवान बद्री विशाल का अभिषेक किया गया और गणेश मंदिर में विशेष पूजा संपन्न हुई।
  • 22 नवंबर को आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट विधि-विधान से बंद कर दिए गए।
  • 23 नवंबर को सभा मंडप में धार्मिक ग्रंथों के पूजन तथा वेद मंत्रों के वाचन की अंतिम प्रक्रिया पूरी की गई।
  • 24 नवंबर को माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित कर विशेष पूजा की गई।
  • 25 नवंबर को दोपहर 2:56 बजे मुख्य अनुष्ठानों के साथ बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए आधिकारिक रूप से बंद कर दिए जाएंगे।
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