इंदौर आ रही दो अलग-अलग बसों में एक युवती और एक नेशनल शूटर के साथ हुई छेड़छाड़ की घटनाओं ने पूरे प्रदेश में बस यात्रियों की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। कई महिलाएं रोज रात को बसों से सफर करती हैं कभी नौकरी की ड्यूटी के चलते, कभी पढ़ाई या परिवारिक काम से… लेकिन क्या ये सफर उनके लिए सुरक्षित है? इसे जानने के लिए प्रदेश के बड़े शहरों में बस स्टैंड और लंबी दूरी की बसों का हाल देखा गया। नतीजे चौंकाने वाले थे। भोपाल ISBT पर रैंडम चेकिंग की तो तस्वीर उम्मीद के उलट मिली। कुछ बसों में पैनिक बटन लगे थे, लेकिन कई बसें आज भी बिना बटन के दौड़ रही हैं। कई ड्राइवरों को तो ये तक नहीं पता था कि पैनिक बटन होता कहाँ है। एक बस में तो ड्राइवर खुद बटन का कनेक्शन जोड़ते दिखा, लेकिन अंदर ढूंढने पर बटन मिला ही नहीं।
महिला यात्रियों ने साफ कहा कि वे पहली बार पैनिक बटन देख रही हैं और उन्हें यह सुविधा बेहद जरूरी लगती है। आरटीओ का दावा है कि नियम तो सख्त हैं, कार्रवाई भी हुई है, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात अब भी आधे-अधूरे हैं।
ड्राइवर-कंडक्टर को नहीं पता सिस्टम
जबलपुर ISBT में स्थिति और भी ढीली निकली। एक दर्जन से ज्यादा बसों की जांच में पता चला कि ज्यादातर बसों में पैनिक बटन थे ही नहीं। कुछ में लगे भी थे तो बिना कनेक्शन के। कई कंडक्टरों ने कहा कि यात्री पैनिक बटन को मोबाइल चार्जर समझ लेते हैं, इसलिए कनेक्शन ही नहीं कराते! इतना ही नहीं, नागपुर-हैदराबाद रूट की लग्जरी बस में AC, वाईफाई, मोबाइल चार्जर सब कुछ था… बस पैनिक बटन नहीं था। वहीं कुछ गिने-चुने रूटों पर सिस्टम ठीक मिला, जहां हर सीट के पास बटन लगा था।
ग्वालियर में सिस्टम दुरुस्त
ग्वालियर के झांसी रोड बस स्टैंड पर स्थिति बाकी शहरों से बेहतर मिली। बसों में लगे पैनिक बटन काम कर रहे थे। ड्राइवर-कंडक्टर को भी पूरी जानकारी थी। टीम ने बटन दबाकर देखा तो सिस्टम सक्रिय हुआ। बस मालिकों ने बताया कि बटन दबते ही सूचना भोपाल के कंट्रोल रूम में जाती है और वहीं से अधिकारी तुरंत बस चालक से संपर्क करते हैं। इंदौर में मुंबई से लौट रही युवती के साथ हुई वारदात के बाद पुलिस और प्रशासन ने मीटिंग पर मीटिंग कर सिस्टम को टाइट करने के निर्देश दिए। अब अधिकतर ट्रेवल्स पैनिक बटन, जीपीएस, सीसीटीवी और फायर सिस्टम का पालन करते दिख रहे हैं।
AICTSL की 575 बसों में पैनिक बटन होने का दावा किया गया है। हालांकि कई यात्रियों को अब भी पता नहीं कि पैनिक बटन होता कहाँ है और कैसे काम करता है। बस ऑपरेटर एसोसिएशन के महासचिव का कहना है कि अब हर बस में पांच पैनिक बटन लगाए जा रहे हैं। एक ड्राइवर के पास और चार पीछे, लेकिन हंस ट्रैवल्स की वही बस, जिसमें युवती के साथ घटना हुई, उसके परिवार का दावा है कि न तो बस में पैनिक बटन था और न ही सीसीटीवी कैमरे चालू थे। पुलिस ने भी फुटेज मांगे तो बताया गया कि कैमरे वर्किंग में नहीं थे।
सबसे बड़ा झोल
प्रदेश में 18 करोड़ खर्च कर बनाया गया कंट्रोल कमांड सेंटर दिसंबर 2022 के बाद से पुलिस कंट्रोल रूम से कनेक्ट ही नहीं है। यानी अगर कोई यात्री बटन दबाए तो सूचना सबसे पहले पुलिस को नहीं, बस मालिक को जाती है। करीब 1.3 लाख वाहनों में लगे पैनिक बटन ऐसे ही बेअसर पड़े हैं।
