शहडोल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दौरान एक और बीएलओ की जान चली गई। पतेरिया गांव में मतदाताओं से फॉर्म भरवा रहे बीएलओ मनीराम नापित को अचानक एक अधिकारी का फोन आया। कॉल खत्म होते ही उनकी तबीयत इतने तेजी से बिगड़ी कि थोड़ी ही देर में उनकी मौत हो गई। बेटा आदित्य उन्हें अस्पताल ले जा रहा था, लेकिन रास्ते में उन्होंने दम तोड़ दिया। यह घटना SIR सर्वे में कर्मचारियों पर बढ़ते दबाव की गंभीर तस्वीर दिखाती है।
प्रदेश में चिंता बढ़ी
मध्यप्रदेश में 4 नवंबर से चल रहे SIR अभियान के बीच 10 दिनों में 6 बीएलओ की मौत ने पूरे सरकारी तंत्र को झकझोर दिया है। प्रदेश में 5 करोड़ 74 लाख वोटर्स के फॉर्म डिजिटलाइज करने का काम तेजी से किया जा रहा है। इसके लिए 65 हजार से ज्यादा बूथ लेवल ऑफिसर्स को लगाया गया है। लगातार दबाव, लंबा काम और मानसिक तनाव इनके लिए जानलेवा साबित हो रहा है।
मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने मुख्य चुनाव आयुक्त नई दिल्ली को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि SIR सर्वे में ड्यूटी के दौरान मरने या घायल होने वाले कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी जैसी राहत दी जाए। संघ ने मृत कर्मचारियों के परिजनों को 15 लाख रुपए और घायलों का पूरा इलाज सरकारी खर्च पर कराने की मांग रखी है।
6 मामलों का पूरा ब्यौरा
- सोहागपुर के बीएलओ मनीराम नापित (54) की सोमवार शाम हार्ट अटैक से मौत हो गई। अधिकारी का फोन आने के बाद उनकी हालत अचानक बिगड़ी। परिवार का कहना है कि यह तनाव का नतीजा है।
- पिपरिया में सहायक शिक्षक सुजान सिंह रघुवंशी SIR सर्वे से लौटते वक्त रेलवे ट्रैक पार कर रहे थे। ट्रेन की चपेट में आने से दोनों पैर बुरी तरह घायल हो गए। भोपाल के अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी जान चली गई।
- मंडीदीप के बीएलओ रमाकांत पांडे रात में ऑनलाइन मीटिंग के बाद अचानक गिर पड़े। परिवार उन्हें अस्पताल लेकर गया, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। वे वार्ड 17 टीलाखेड़ी स्कूल में शिक्षक थे।
- शिक्षक भुवान सिंह चौहान को 18 नवंबर को काम में लापरवाही बताकर सस्पेंड कर दिया गया था। उसके तुरंत बाद उन्हें हार्ट अटैक आया और मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि सस्पेंशन के तनाव ने उनकी जान ले ली।
- दमोह में बीएलओ सीताराम गोंड की तबीयत बिगड़ने के बाद जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिर जबलपुर रेफर किया गया, लेकिन वहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
- बालाघाट की बीएलओ और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनीता नागेश्वर (50) की नागपुर में इलाज के दौरान मौत हो गई। बेटी आरती का आरोप है कि काम का दबाव उनकी मौत का कारण है। जबकि अधिकारी कह रहे हैं कि किसी कीड़े के काटने से इंफेक्शन फैल गया था।
हालात गंभीर
भोपाल में बीएलओ कीर्ति कौशल और मोहम्मद लईक को हार्ट अटैक आया। दोनों अस्पताल में भर्ती हैं। रीवा में सहायक शिक्षक और बीएलओ विजय पांडे को ब्रेन हेमरेज हुआ। परिजनों का कहना है कि बीमारी के बावजूद अफसर लगातार सर्वे पूरा करने का दबाव डालते रहे।
परिवारों की मांग
बालाघाट में सरपंच व्यंकट राहंगडाले ने अनीता नागेश्वर के परिवार को 25 लाख रुपए और एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की है। अन्य मामलों में भी परिवारों का यही कहना है कि SIR सर्वे में काम का दबाव कम किया जाए और बीमार कर्मचारियों को मजबूर न किया जाए।
सिस्टम पर सवाल
एक सप्ताह में लगातार मौतों के बाद SIR प्रक्रिया की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। कर्मचारी संगठन कह रहे हैं कि समय-सीमा का दबाव कर्मचारियों की जान ले रहा है। सवाल है—क्या चुनाव सुधार के नाम पर इतनी बड़ी मानवीय कीमत चुकाना जरूरी है? यह मामला अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन चुका है।
