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नए लेबर कोड मजदूरों पर हमला, कांग्रेस का आरोप; लेबर कोड मजदूरों की कमर तोड़ने वाले कानून

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Published On: 25 November 2025

MP कांग्रेस कार्यालय में मंगलवार को कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने केंद्र सरकार के नए लेबर कोड्स पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि 22 नवंबर 2025 से लागू किए गए चारों लेबर कोड मजदूरों के अधिकारों पर सीधा हमला हैं और “ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस” के नाम पर मजदूरों के शोषण को वैधता देने की कोशिश है। प्रेस कांफ्रेंस में अनुमा अचार्य, भूपेंद्र गुप्ता, रवि सक्सेना और विक्रम चौधरी मौजूद थे।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नए कोड्स वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, व्यवसायिक संरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के लागू होने से 29 पुराने श्रम कानून खत्म हो गए। पार्टी का कहना है कि इससे मजदूरों की कानूनी सुरक्षा पहले से बेहद कमजोर हो गई है।

कांग्रेस का दावा

मुकेश नायक ने कहा कि वेतन संहिता की धारा 13 सरकार को काम के घंटे तय करने का खुला अधिकार देती है, जबकि दूसरी संहिता में 8 घंटे कार्यदिवस का उल्लेख है। ओवरटाइम से जुड़ी चुप्पी और नियम तय करने का अधिकार सरकार को देने से रास्ता साफ है कि मजदूरों का कार्यदिवस 10-12 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है।

कांग्रेस ने कहा कि नए लेबर कोड्स में फैक्टरी निरीक्षण की शक्ति कमजोर कर दी गई है। निरीक्षक अब फैक्ट्रियों में अचानक जांच नहीं कर पाएंगे। रिकॉर्ड खंगालने या उल्लंघन पर सीधे कार्रवाई करने की व्यवस्था खत्म कर दी गई है। इसके बजाय मालिक की “स्व-प्रमाणीकरण” (Self Certification) को मान्यता दे दी गई है, जिसे कांग्रेस ने “पूंजीपतियों को खुली छूट” बताया।

न्यायपालिका पर भी पड़ रहा असर

प्रेस वार्ता में यह आरोप भी लगाया गया कि नए कानूनों से स्वतंत्र न्यायपालिका की अवधारणा पर हमला हुआ है। अब श्रम न्यायालय खत्म कर दिए गए हैं और उनका स्थान औद्योगिक न्यायाधिकरण ने ले लिया है, जहां प्रशासनिक अधिकारी भी फैसले सुनाएंगे। कांग्रेस का कहना है कि इससे न्यायपालिका में कार्यपालिका की दखल बढ़ेगी। कांग्रेस ने कहा कि कानून की धारा 2(Zr) IV में यह तय किया गया है कि 18,000 रुपए से अधिक वेतन पाने वाले सुपरवाइजर्स को मजदूर की श्रेणी से बाहर कर दिया जाएगा। इससे बड़ी संख्या में निम्न आय वाले कर्मचारी श्रमिक अधिकारों से वंचित हो जाएंगे।

‘हायर एंड फायर’ को मिली कानूनी मंजूरी

फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट (FTE) को लेकर भी कांग्रेस ने चिंता जताई। पार्टी ने कहा कि अब स्थायी प्रकृति के कामों पर भी निश्चित अवधि की अस्थायी नियुक्तियां की जा सकेंगी और सेवा अवधि खत्म होते ही मजदूर को बिना पुनर्बहाली या मुआवजे की मांग किए निकाल दिया जाएगा। कांग्रेस ने इसे “रखो और निकालो की नीति को वैधता” बताया। कांग्रेस ने कहा कि नए प्रावधानों से ट्रेड यूनियन बनाना मुश्किल हो गया है। 300 से कम मजदूरों वाली फैक्टरियों में नई यूनियन का पंजीकरण लगभग असंभव होगा और पुरानी यूनियनों को खत्म करने का अधिकार भी सरकार को दे दिया गया है। इसी तरह हड़ताल के नियम इतने कठोर कर दिए गए हैं कि अब मजदूरों के लिए वैध हड़ताल करना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।

मनमानी की छूट

औद्योगिक संबंध संहिता के तहत, 300 से कम मजदूरों वाली फैक्ट्रियों में मालिक किसी भी समय छंटनी या तालाबंदी कर सकेंगे, वह भी बिना सरकारी अनुमति के। कांग्रेस ने इसे मजदूरों के लिए “सबसे खतरनाक बदलाव” कहा। कांग्रेस ने कहा कि अब रात की पाली में भी महिलाओं से काम कराया जा सकेगा, जबकि पहले 7 बजे के बाद उन्हें काम पर रोकने की छूट नहीं थी। सेफ्टी कमेटी भी सिर्फ 500 से अधिक मजदूरों वाली फैक्ट्रियों में अनिवार्य रहेगी, जिससे छोटे संस्थानों में सुरक्षा कमजोर पड़ जाएगी।

कांग्रेस की मांग

प्रेस वार्ता के अंत में मुकेश नायक ने कहा, “ये लेबर कोड मजदूरों के अधिकार छीनते हैं और संविधान की मूल भावना के खिलाफ हैं। कांग्रेस इन काले कानूनों को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी और इन्हें तत्काल वापस लेने की मांग करती है।” उन्होंने कहा कि मजदूरों की लड़ाई सड़कों से लेकर विधानसभा तक हर जगह लड़ी जाएगी।

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