महाकाल मंदिर के 22 पुरोहितों की लंबित मांगों को लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है। पुरोहितों का कहना है कि वे लंबे समय से अपनी समस्याओं को मंदिर प्रबंध समिति और प्रशासन के सामने रख रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला। नाराज पुरोहितों ने संकेत दिया है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे सीधे मुख्यमंत्री से मिलने का विकल्प अपनाएंगे। पुरोहित समिति के अध्यक्ष पंडित लोकेंद्र व्यास ने बताया कि पुरोहितों की प्रमुख मांगों में मंदिर काउंटर पर अभिषेक-पूजन के कट्टे रखने का सुझाव शामिल है।
इससे दर्शनार्थियों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा, नवीन सभा मंडप तैयार होने के बाद पुरोहितों के लिए तख्त लगाए जाने की भी मांग की गई थी, लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
बढ़ी नाराजगी
पुरोहितों का कहना है कि मंदिर एक्ट के तहत उन्हें उनके पद के अनुरूप नाम और अधिकार मिलने चाहिए थे। मंदिर में कुल 16 पुजारी और 22 पुरोहित नियुक्त हैं, लेकिन उनके पदनाम और अधिकारों का पालन अभी तक नहीं हुआ। इससे पुरोहितों में असंतोष बढ़ा है और कई मांगें अनसुलझी रह गई हैं। पुरोहितों का आरोप है कि उन्होंने लिखित रूप से कई बार आवेदन और अनुरोध भेजा, लेकिन मंदिर प्रशासन और समिति ने उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया। पुरोहितों का कहना है कि अब प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई न होने पर वे मुख्यमंत्री से सीधे मिलकर अपनी समस्याओं का समाधान मांगेंगे।
CM से मिलने की चेतावनी
पुरोहितों ने साफ किया कि यदि उनकी मांगों पर जल्दी ध्यान नहीं दिया गया, तो वे मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी समस्याओं और प्रस्ताव सीधे रखेंगे। उनका कहना है कि मंदिर के सुचारू संचालन और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उनके सुझाव महत्वपूर्ण हैं। पुरोहितों की यह चेतावनी प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती भी मानी जा रही है। पुरोहित समिति ने स्पष्ट किया है कि वे मंदिर की गरिमा और अनुशासन को बनाए रखते हुए अपनी मांगों के समाधान तक आवाज उठाते रहेंगे। उनका उद्देश्य केवल मंदिर की सेवा और दर्शनार्थियों की सुविधा सुनिश्चित करना है।
इस तरह महाकाल मंदिर के पुरोहितों की लंबित मांगों ने प्रशासन और सरकार के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। अब यह देखने वाली बात होगी कि मुख्यमंत्री स्तर पर इस पर क्या निर्णय लिया जाता है।
