दिल्ली-मुंबई की उड़ानें हुई महंगी, यूजर चार्जेस में 22 गुना तक बढ़ोतरी की संभावना

Author Picture
Published On: 1 December 2025

दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट से उड़ान भरना आने वाले समय में यात्रियों के लिए काफी महंगा हो सकता है, क्योंकि दोनों हवाई अड्डों पर यूजर चार्जेस में 22 गुना तक बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है। यह स्थिति TDSAT के हालिया आदेश के बाद बनी है, जिसमें 2009 से 2014 के बीच टैरिफ तय करने की पद्धति में बदलाव किया गया है। नई गणना से पता चला है कि इस अवधि में एयरपोर्ट ऑपरेटरों को 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ, जिसे अब यात्रियों से वसूले जाने वाले UDF, लैंडिंग और पार्किंग फीस जैसे चार्जेज के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। इससे हवाई टिकटों के दाम तेज़ी से बढ़ने की संभावना है।

दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट से उड़ान भरना जल्द ही यात्रियों के लिए और महंगा हो सकता है, क्योंकि दोनों एयरपोर्ट्स पर यूज़र चार्जेस में भारी बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, इन चार्जेस में लगभग 22 गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है।

उड़ान हुई महंगी

दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट पर यात्रियों की जेब पर भारी बोझ पड़ने की आशंका है, क्योंकि यूजर डेवलपमेंट फीस (UDF) में बड़ी बढ़ोतरी प्रस्तावित है। जानकारी के अनुसार, दिल्ली में घरेलू यात्रियों से लिए जाने वाले 129 रुपए UDF बढ़कर 1,261 रुपए तक और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए 650 रुपए बढ़कर 6,356 रुपए तक पहुंच सकती है। मुंबई एयरपोर्ट पर घरेलू यात्रियों की मौजूदा 175 रुपए UDF बढ़कर 3,856 रुपए तक और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की 615 रुपए फीस बढ़कर 13,495 रुपए तक हो सकती है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इतनी बड़ी बढ़ोतरी यात्रियों की संख्या पर गंभीर असर डाल सकती है।

पुराने विवाद की लौ भड़की

विवाद की जड़ लगभग 20 साल पुरानी है, जब 2006 में दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट के निजीकरण के दौरान एसेट्स के मूल्यांकन को लेकर मतभेद सामने आए। चूंकि AERA का गठन 2009 में हुआ था, इसलिए उससे पहले दोनों एयरपोर्ट DIAL और MIAL को सौंप दिए गए थे, जिनके पास उपलब्ध एसेट्स का डेटा पर्याप्त रूप से विश्वसनीय नहीं माना गया। ऐसे में सरकार और निजी ऑपरेटरों के बीच टैरिफ तय करने के लिए Hypothetical Regulatory Asset Base (HRAB) का फार्मूला अपनाया गया, जो संपत्तियों का एक काल्पनिक मूल्य तय करता है। यहीं से यह विवाद शुरू होकर वर्षों तक चला और अब जाकर फिर सामने आया है।

TDSAT में लौटा विवाद

दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट शुल्क विवाद की जड़ दरअसल उसी टकराव में छिपी है, जिसमें FY09-14 के लिए तय की गई टैरिफ गणना को लेकर एयरपोर्ट नियामक AERA और ऑपरेटर DIAL व MIAL आमने-सामने आ गए। AERA ने उस अवधि की टैरिफ गणना में केवल एरोनॉटिकल एसेट्स जैसे रनवे, टर्मिनल और चेक-इन काउंटर को शामिल किया, जबकि ऑपरेटरों का तर्क था कि नॉन-एरोनॉटिकल एसेट्स, जैसे ड्यूटी फ्री दुकानें, लाउंज और पार्किंग से होने वाली कमाई का मूल्य भी गणना में आना चाहिए। AERA के फैसले को 2018 में TDSAT और 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने सही माना, लेकिन बाद में ऑपरेटरों ने एक पुरानी मंत्रालयी चिट्ठी का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसके बाद कोर्ट ने मामला फिर से TDSAT को भेज दिया।

Related News
Home
Web Stories
Instagram
WhatsApp