मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार को शुरू हुआ, लेकिन पहले ही दिन कांग्रेस विधायकों ने सरकार को बच्चों की मौत, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और बढ़ते अत्याचारों के मुद्दों पर कठघरे में खड़ा कर दिया। विधानसभा परिसर में हुए इस प्रदर्शन ने सत्र की शुरुआत को ही राजनीतिक तौर पर गर्म बना दिया।
अनोखा विरोध
कांग्रेस विधायक दल ने नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में परिसर में सांकेतिक प्रदर्शन किया। विरोध को खास बनाने के लिए विधायकों ने बच्चों के पुतले हाथ में लेकर सरकार की ‘संवेदनहीनता’ पर सवाल उठाए। एक महिला विधायक ‘पूतना’ के वेश में प्रदर्शन स्थल पर पहुंचीं, जिसे कांग्रेस ने सरकार की कथित लापरवाही और “मासूमों के प्रति घातक” रवैये का प्रतीक बताया। यह दृश्य पूरे परिसर में चर्चा का विषय बन गया।
कफ सिरप से बच्चों की मौत
उमंग सिंघार ने छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जिन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया, सरकार उनके दर्द को समझने और जिम्मेदारी तय करने में असफल रही है। उन्होंने कहा कि कई घरों के चिराग हमेशा के लिए बुझ गए, माताओं की गोद सूनी हो गई, लेकिन सरकार अब भी चुप है। सिंघार ने यह भी आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा और जवाबदेही तय करने की दिशा में कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया है।
अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रदेश में अस्पतालों की हालत इतनी खराब है कि हाल ही में एक घटना में नवजात शिशु को चूहों ने कुतर दिया, लेकिन सरकार ने इस पर भी उचित कार्रवाई नहीं की। सिंघार ने कहा कि यह केवल प्रशासनिक चूक नहीं बल्कि “पूरे सिस्टम की असफलता है,” जिसे भाजपा सरकार लगातार नज़रअंदाज़ कर रही है। उनका कहना था कि स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट ने बच्चों की सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल दिया है।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस विधायकों ने कहा कि यह मुद्दा किसी एक जिले या एक घटना का नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार मासूमों की जान से जुड़े मामलों में भी अनुत्तरदायी है। सिंघार ने कहा, “जब बात बच्चों के जीवन की हो, तो सरकार की चुप्पी सबसे बड़ा सवाल बन जाती है। जनता जानना चाहती है कि आखिर सरकार जवाब देने से क्यों बच रही है?”
विपक्ष की चेतावनी
कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे पर सत्र के अंदर और बाहर दोनों जगह आक्रामक रुख अपनाएगी। विधायकों ने कहा कि बच्चों की मौत, बढ़ते अत्याचार और स्वास्थ्य विभाग की विफलताओं पर अब मौन रहना संभव नहीं है। विपक्ष का कहना है कि जब सवाल मासूम ज़िंदगियों का हो, तो वे किसी भी हाल में पीछे नहीं हटेंगे।
