उज्जैन में नए साल पर लगने वाली भारी भीड़ को देखते हुए महाकालेश्वर मंदिर समिति ने इस बार भस्म आरती की ऑनलाइन बुकिंग अस्थायी रूप से बंद कर दी है। 25 दिसंबर 2025 से 5 जनवरी 2026 तक श्रद्धालुओं को केवल ऑफलाइन बुकिंग के आधार पर ही प्रवेश मिलेगा। यह निर्णय भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के मद्देनज़र लिया गया है। मंदिर समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि 31 दिसंबर से 2 जनवरी के बीच उज्जैन में करीब 10 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। इतने बड़े पैमाने पर भीड़ को नियंत्रित करने, सुरक्षित दर्शन सुनिश्चित करने और भस्म आरती व्यवस्था को सुचारु रखने के लिए ऑनलाइन बुकिंग पर रोक लगाना जरूरी था।
समिति ने भक्तों से अपील की है कि वे यात्रा से पहले अपनी योजना तय करें और उज्जैन पहुंचने पर तुरंत ऑफलाइन बुकिंग कराएं। भीड़ अधिक होने के कारण अंतिम समय पर बुकिंग मुश्किल हो सकती है। समिति का कहना है कि उचित समय पर पहुंचने पर ही भस्म आरती व दर्शन आराम से किए जा सकेंगे।
रूट प्लान में बदलाव
नव वर्ष पर महाकाल मंदिर परिसर में भीड़ का दबाव हमेशा अधिक रहता है। इस बार सुरक्षा बल की अतिरिक्त तैनाती के साथ पूरा रूट प्लान बदला गया है। भीड़ की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए प्रवेश और निकास मार्गों को अलग-अलग किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि इन व्यवस्थाओं से लंबे इंतजार और अव्यवस्था से बचा जा सकेगा। जिन श्रद्धालुओं के पास भस्म आरती की अनुमति नहीं है, उनके लिए इस बार विशेष चलित भस्म आरती व्यवस्था लागू की गई है। भक्त निर्धारित कतार में खड़े होकर दूर से ही भस्म आरती के दर्शन कर सकेंगे। समिति के अनुसार, इससे भीड़ के दबाव में काफी कमी आएगी।
दर्शन मार्ग में बड़ा बदलाव
कौशिक ने बताया कि नव वर्ष के दौरान दर्शन के लिए श्रद्धालु त्रिवेणी संग्रहालय से प्रवेश करेंगे। इसके बाद मार्ग महाकाल लोक, मान सरोवर, टनल और फिर गणेश मंडपम से होता हुआ एग्जिट टनल तक रहेगा। यह पूरा सिस्टम ऑफलाइन अनुमति के आधार पर चलेगा। अनुमति उसी संख्या में दी जाएगी, जितने दर्शार्थियों को सुरक्षित रूप से अंदर लिया जा सके। देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं को देखते हुए मंदिर समिति ने लड्डू प्रसादी का उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है। सामान्य दिनों में 30-40 क्विंटल प्रसादी तैयार की जाती है, लेकिन इस बार इसे बढ़ाकर 50 क्विंटल से अधिक करने के निर्देश दिए गए हैं। जूता स्टैंड, पानी और शौचालय जैसी व्यवस्थाओं को भी मजबूत किया गया है।
