बॉलीवुड में आज भले ही LGBTQ+ विषयों पर खुलकर फिल्में बन रही हों, लेकिन चार दशक पहले ऐसे टॉपिक को छूना भी बड़ी बात मानी जाती थी। आज ‘फायर’ और ‘एक लड़की (हेमा मालिनी) को देखा तो ऐसा लगा’ जैसी फिल्मों को दर्शक स्वीकार करते हैं, मगर 80 के दशक में ऐसा करना किसी भी फिल्ममेकर के लिए बेहद साहसिक कदम था। इसी साहस का उदाहरण बनी थी साल 1983 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘रज़िया सुल्तान’। कमाल अमरोही द्वारा निर्देशित यह फिल्म 13वीं शताब्दी की दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शासक रज़िया सुल्तान की कहानी पर आधारित थी। फिल्म में हेमा मालिनी ने मुख्य भूमिका निभाई थी जबकि परवीन बॉबी और धर्मेंद्र अहम किरदारों में नजर आए थे।
किसिंग सीन
इस फिल्म में हेमा मालिनी और परवीन बॉबी के बीच एक किसिंग सीन फिल्माया गया था, जिसने उस दौर में तहलका मचा दिया था। समलैंगिक रिश्तों को पर्दे पर दिखाना उस समय के लिए बिल्कुल नया और साहसिक था। दर्शक इस तरह का रोमांस देखने के लिए तैयार नहीं थे, इसलिए इस सीन को लेकर खूब विवाद हुआ और फिल्म को काफी आलोचना झेलनी पड़ी।
फ्लॉप रही
फिल्म को बनाने में लगभग तीन साल लगे और 10 करोड़ रुपये का बजट लगा था जो उस जमाने में एक बहुत बड़ी रकम थी। इसके बावजूद ‘रज़िया सुल्तान’ बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही और सिर्फ 2 करोड़ रुपये की कमाई कर पाई। भारी बजट, कठिन उर्दू संवाद और उस दौर के दर्शकों की मानसिकता ने इस फिल्म को संभलने नहीं दिया।
भले ही यह फिल्म कमाई के मामले में असफल रही हो, लेकिन इसने भारतीय सिनेमा में एक ऐसा कदम उठाया जिसे उस वक्त बहुत कम लोग उठाने की हिम्मत करते थे। यही वजह है कि आज भी ‘रज़िया सुल्तान’ को बॉलीवुड के सबसे बोल्ड एक्सपेरिमेंट्स में गिना जाता है।
