ईशान खट्टर, विशाल जेठवा और जाह्नवी कपूर जल्दी अपनी फिल्म होमबाउंड के साथ दर्शकों का मनोरंजन करने वाले हैं। इस फिल्म से जुड़ी जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक कहानी दर्शकों को काफी एक्साइटेड करने वाली है। यह समाज को आईना दिखाने वाली एक दिल छू देने वाली कहानी है।
बदन पर वर्दी दिखती है न तो सीने पर लिखा नाम नहीं पढ़ता कोई। एक बार हम सिपाही बन गए न तो ..किसी के बाप में हिम्मत नहीं होगी हमें गरियाने की। यह केवल फिल्म का डायलॉग नहीं है, बल्कि उसके पूरे मर्म को समझने वाला संवाद है।
कैसी है कहानी
यह मानपुर नामक एक सुदूर गांव की कहानी है जहां पर भेदभाव और जातिवाद बहुत आम है। इसी से त्रस्त चंदन कुमार और मोहम्मद शोएब पुलिस में भर्ती के लिए रेलवे स्टेशन आते हैं। यहां पर उनकी मुलाकात सुधा भारती से होती है जो अंबेडकरवादी है। अपनी गरिमा के लिए लड़ने के अलावा वह समाज को ऊपर उठाना चाहती है। उसका मानना है कि शिक्षा ही इसका एकमात्र रास्ता है।
वहीं, शोएब को पुलिस में भर्ती समानता और समानता किस तरह लगती है। पुलिस भर्ती में चंदन पास हो जाता है, लेकिन शोएब नहीं होता जिसका असर दोस्ती पर भी देखने को मिलता है। इस बीच पता चलता है की भर्ती परीक्षा का परिणाम पर रोक लग गई है। इसी बीच सुधा और चंदन के बीच नजदीकियां बढ़ जाती है।
कोविड का समय
यह दोनों को पूरा करने के लिए सूरत के कपड़ा मिल में काम करते हैं। कोरोना का प्रकोप लॉकडाउन तक ले आता है और दोनों के लिए जीविकोपार्जन मुश्किल हो जाता है। सामाजिक उत्पीड़न, गरीबी और कई सारी परेशानी के बीच ये लोग घर पहुंच पाएंगे या नहीं इसी पर पूरी कहानी है।
