कोरोना काल में सैनिटाइजर हर घर और ऑफिस का जरूरी हिस्सा बन गया। लोग इसे हाथों को साफ और जर्म्स फ्री रखने के लिए रोज़ाना इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अब यूरोपियन यूनियन (EU) इसमें बड़ा बदलाव करने जा रहा है। खबर है कि EU सैनिटाइजर में एथेनॉल की मात्रा को लेकर सख्ती कर सकता है।
एथेनॉल को बताया जा रहा है हानिकारक
समाचार एजेंसी रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपियन केमिकल एजेंसी (ECHA) ने कहा है कि एथेनॉल त्वचा के लिए नुकसानदायक हो सकता है। एजेंसी का कहना है कि लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करने से कैंसर का खतरा और प्रेग्नेंसी में परेशानी हो सकती है। इसी वजह से ECHA ने सुझाव दिया है कि सैनिटाइजर में एथेनॉल की जगह किसी और सुरक्षित विकल्प का इस्तेमाल किया जाए।
बैठक में होगा अंतिम फैसला
ECHA की बायोसाइडल प्रोडक्ट कमेटी 25 से 28 नवंबर के बीच बैठक करेगी। इस बैठक में एथेनॉल को लेकर फाइनल चर्चा होगी। अगर तय होता है कि एथेनॉल वास्तव में कार्सिनोजेनिक यानी जहरीला पदार्थ है, तो इसके विकल्प पर भी विचार होगा। हालांकि, आखिरी फैसला यूरोपियन कमीशन का ही होगा। वैश्विक स्वास्थ्य संगठन WHO ने पहले ही कहा था कि हाथों के लिए एथेनॉल और इसोप्रोपानॉल इस्तेमाल करना सुरक्षित है। इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि WHO के सुरक्षित बताने के बाद भी EU किस दिशा में फैसला लेता है।
क्या बदल सकता है?
अगर EU ने एथेनॉल पर प्रतिबंध लगाया, तो सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियों को अपनी रेसिपी बदलनी होगी। इसका मतलब यह है कि बाजार में नए प्रकार के सैनिटाइजर आएंगे और पुराने प्रोडक्ट्स में बदलाव करना जरूरी होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिहाज से अहम है, लेकिन आम जनता के लिए भी थोड़ी असुविधा हो सकती है क्योंकि कई लोगों ने सालों से एथेनॉल बेस्ड सैनिटाइजर इस्तेमाल किया है।
