कनाडा के महान हॉकी खिलाड़ी और हॉल ऑफ फेम सदस्य केन ड्राइडन का 78 साल की उम्र में निधन हो गया है। लंबे समय तक कैंसर से जूझते हुए उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा। 1970 के दशक में मॉन्ट्रियल कैनेडियंस टीम के लिए गोलकीपर के रूप में अपनी शानदार खेल प्रतिभा दिखाने वाले ड्राइडन ने अपने करियर में छह स्टेनली कप जीते और 1972 की समिट सीरीज में कनाडा की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कनाडा के प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी और हॉल ऑफ फेम सदस्य केन ड्राइडन का 78 साल की उम्र में निधन हो गया है। लंबे समय तक कैंसर से जूझने के बाद उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा।
केन ड्राइडन का शानदार करियर
ओंटारियो के हैमिल्टन में 8 अगस्त 1947 को जन्मे केन ड्राइडन ने अपने हॉकी करियर की शुरुआत 1964 में बोस्टन ब्रुइन्स द्वारा एनएचएल ड्राफ्ट में 14वें नंबर पर चुने जाने से की। इसके बाद वह मॉन्ट्रियल कैनेडियंस टीम में शामिल हुए और मार्च 1971 में अपना पहला मैच खेला। उसी वर्ष उन्होंने अपनी टीम को स्टेनली कप जिताने में मदद की और शानदार प्रदर्शन के लिए कॉन स्मिथ ट्रॉफी से सम्मानित हुए। 1971-72 सीज़न में उन्हें रूकी ऑफ द ईयर का काल्डर ट्रॉफी पुरस्कार भी मिला।
गोलकीपर की निभाई थी भूमिका
कनाडा और सोवियत संघ के बीच 1972 में हुई ऐतिहासिक समिट सीरीज में हॉकी खिलाड़ी केन ड्राइडन ने अपनी टीम के लिए गोलकीपर की भूमिका निभाई और महत्वपूर्ण जीत दिलाई। शीत युद्ध के दौर में हुए इस मुकाबले में ड्राइडन ने मॉस्को में खेले गए छठे मैच में 3-2 की जीत में अहम योगदान दिया और पॉल हेंडरसन के ऐतिहासिक गोल के साथ कनाडा ने सीरीज 6-5 से जीत हासिल की।
खेल और करियर दोनों में बेहतर
कनाडा के महान हॉकी खिलाड़ी केन ड्राइडन सिर्फ खेल में ही नहीं बल्कि कई क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ चुके थे। उन्होंने 30 वर्ष की उम्र में हॉकी से संन्यास लेने के बाद वकील, लेखक, राजनीतिज्ञ और एनएचएल के कार्यकारी अधिकारी के रूप में भी सफलता हासिल की। अपनी किताब “द सीरीज: व्हाट आई रिमेंबर, व्हाट इट फेल्ट लाइक, व्हाट इट फील्स लाइक नाउ” में उन्होंने 1972 की ऐतिहासिक हॉकी सीरीज के अपने अनुभवों को विस्तार से शेयर किया।