मालदीव ने तुर्की से खरीदे सैन्य ड्रोन खेपें, 9 करोड़ डॉलर का हुआ सौदा; भारत की बढ़ी चिंता

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Published On: 3 November 2025

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने तुर्की से दो नई सैन्य ड्रोन खेपें खरीदने का फैसला किया है, जिससे भारत की रणनीतिक चिंताएं बढ़ गई हैं। इस सौदे को लेकर मालदीव में विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है, क्योंकि यह सौदा न केवल महंगा माना जा रहा है बल्कि देश की विदेश नीति में बड़े बदलाव का संकेत भी देता है। सरकार ने तुर्की से दो नई खेपों में अत्याधुनिक सैन्य ड्रोन “बायरकटार टीबी2” खरीदने का फैसला किया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इन ड्रोन की खेपें मालदीव के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित गण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तीन दिनों के भीतर उतारी गईं, जो पहले ब्रिटेन की रॉयल एयर फोर्स का बेस हुआ करता था। इस सौदे को लेकर अब क्षेत्रीय स्तर पर नई चर्चा शुरू हो गई है। ऐसे में तुर्की से यह सैन्य सहयोग भारत की रणनीतिक स्थिति को लेकर नई चिंताएं पैदा कर रहा है।

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने एक बार फिर ऐसा कदम उठाया है जिससे भारत की रणनीतिक चिंताएं बढ़ गई हैं। इस सौदे को लेकर मालदीव में विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है, क्योंकि यह सौदा न केवल महंगा माना जा रहा है बल्कि देश की विदेश नीति में बड़े बदलाव का संकेत भी देता है।

स्थापित किया ड्रोन बेस

मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) ने दक्षिणी द्वीप गण पर एक नया ड्रोन बेस स्थापित करना शुरू कर दिया है, जहां तुर्की से खरीदे गए ड्रोन का परीक्षण भी प्रारंभ हो चुका है। हालांकि, सरकार ने इस सौदे की आधिकारिक लागत का खुलासा नहीं किया है, लेकिन स्थानीय अखबार अधाधु की रिपोर्ट के मुताबिक इसकी अनुमानित कीमत करीब 3.7 करोड़ डॉलर है, जबकि विपक्ष का दावा है कि वास्तविक लागत लगभग 9 करोड़ डॉलर तक हो सकती है।

मालदीव की नाजुक आर्थिक स्थिति के बावजूद इतना बड़ा रक्षा सौदा विपक्ष और विशेषज्ञों दोनों के बीच चिंता का विषय बन गया है। विपक्षी दलों ने सरकार से सवाल किया है कि जब देश की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है, तब इतने महंगे सैन्य उपकरणों पर खर्च करना कितना उचित है।

भारत की बढ़ी चिंता

भारत पहले से ही मालदीव, चीन और पाकिस्तान के बढ़ते रिश्तों को लेकर सतर्क है, लेकिन अब तुर्की के साथ मालदीव का नया सैन्य सहयोग भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए नई चुनौती बनता दिख रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन, पाकिस्तान और तुर्की मिलकर हिंद महासागर के पश्चिमी हिस्से में रणनीतिक संतुलन (स्ट्रैटेजिक बैलेंस) को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे हालात में भारत के लिए अपने पड़ोस की निगरानी और अधिक सख्त करना जरूरी हो गया है। कई विश्लेषकों का यह भी मानना है कि तुर्की से मिसाइल-सक्षम नौसैनिक पोत और ड्रोन खरीदने की मालदीव की योजना यह संकेत देती है कि राष्ट्रपति मुइज्जू की सरकार किसी बड़ी रणनीतिक नीति पर काम कर रही है, जो भारत के हितों के खिलाफ साबित हो सकती है।

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