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मोदी के ट्रिपल मिशन से पूरा होगा एशिया दौरा, 68 अरब डॉलर निवेश का हुआ वादा

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Published On: 29 August 2025

विश्व | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मौजूदा एशिया दौरा कूटनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है। इस यात्रा में उनका फोकस तीन बड़े उद्देश्यों पर है। जापान के साथ गहरी दोस्ती और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना, चीन के साथ रिश्तों में संतुलन और सहयोग कायम रखना तथा रूस से ऊर्जा आपूर्ति को लेकर भरोसा सुनिश्चित करना। इसे मोदी का ‘ट्रिपल मिशन’ कहा जा रहा है, जिसके जरिए भारत एक संतुलित और प्रभावशाली विदेश नीति को आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। इसके अलावा रूस के साथ ऊर्जा सहयोग को लेकर बातचीत होगी, जिससे भारत को दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा मिल सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एशिया यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय महाशक्तियों के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत करना है। इस दौरान वह जापान में निवेश और तकनीकी सहयोग पर जोर देंगे, ताकि दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को नई गति मिल सके।

PM मोदी का एशिया दौरा शुरू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सप्ताह अपनी महत्वपूर्ण विदेश यात्रा पर निकले हैं, जिसके तहत वे जापान, चीन और रूस का दौरा करेंगे। यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ से जूझ रहा है, इसलिए एशियाई देशों से मजबूत संबंध बनाना भारत के लिए बेहद आवश्यक माना जा रहा है। इस दौरे में जापान के साथ आर्थिक और तकनीकी सहयोग पर जोर दिया जाएगा, चीन के साथ सीमा विवाद के बाद तनावपूर्ण रिश्तों को सुधारने की कोशिश होगी। रूस के साथ ऊर्जा सहयोग को लेकर बातचीत की संभावना है। मोदी की यह यात्रा भारत की रणनीतिक और संतुलित विदेश नीति के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है।

रिश्तों में आई मजबूती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जापान दौरा उनकी एशिया यात्रा का सबसे अहम हिस्सा माना जा रहा है। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत-जापान की दोस्ती को और गहराई देना तथा निवेश के नए अवसर खोलना है। जापान अगले 10 सालों में भारत में करीब 68 अरब डॉलर का निवेश करने जा रहा है, जिसमें अकेली सुजुकी कंपनी लगभग 8 अरब डॉलर लगाएगी।

इससे भारत में नए कारखाने स्थापित होंगे, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। यह दौरा क्वाड देशों (भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका) के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना है।

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को मिली रफ्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के दौरान भारत और जापान ने सेमीकंडक्टर, क्लीन एनर्जी, डिजिटल तकनीक, रक्षा और बुलेट ट्रेन जैसे कई अहम क्षेत्रों में मिलकर काम करने पर सहमति जताई है। जापान अब तक भारत में 43 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है और आगे भी सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है। मोदी ने कहा कि भारत और जापान एक-दूसरे के सच्चे साझेदार हैं और इस दोस्ती से भारत को नई तकनीक, पूंजी और विकास के अवसर मिलेंगे, जिससे देश और अधिक मजबूत बनेगा।

भारत-चीन रिश्ते में सुधार की नई पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान यात्रा के बाद चीन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में शामिल होंगे। यह मुलाकात खास इसलिए मानी जा रही है क्योंकि 2020 की गलवान झड़प के बाद पहली बार भारत और चीन के नेता आमने-सामने मिलेंगे। दोनों देश अब पुराने मतभेद भुलाकर रिश्ते सुधारने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। इसके तहत सीधी हवाई सेवाएं दोबारा शुरू करने, हिमालयी क्षेत्रों में व्यापार बढ़ाने और चीन की ओर से भारत पर लगाए गए खाद, रेयर अर्थ मेटल्स और टनल मशीनों पर प्रतिबंध हटाने जैसे मुद्दों पर सहमति बनती नजर आ रही है।

मोदी की रूस यात्रा का आखिरी पड़ाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एशिया यात्रा का आखिरी पड़ाव रूस है, जहाँ वे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। रूस भारत के लिए ऊर्जा का सबसे बड़ा सहयोगी बन चुका है, खासकर यूक्रेन युद्ध के बाद जब भारत ने सस्ते दामों पर रूस से कच्चा तेल खरीदना शुरू किया। इससे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई, हालांकि इस कदम पर अमेरिका ने आपत्ति जताई थी। इसके बावजूद, भारत पर कोई कड़ा प्रतिबंध नहीं लगाया गया।

ट्रंप ने भी रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर सवाल उठाए, लेकिन भारत ने इसे गलत बताते हुए अपनी नीति का बचाव किया। भले ही भारत ने तेल की खरीद कुछ हद तक कम की हो, फिर भी वह रूस का समुद्री मार्ग से सबसे बड़ा तेल खरीदार बना हुआ है। इतिहास गवाह है कि रूस भारत की विदेश नीति में हमेशा एक भरोसेमंद और स्थिर साथी रहा है।

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