मोक्षदा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए रखा जाने वाला एक अत्यंत शुभ और पवित्र व्रत माना जाता है। यह व्रत हर साल मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखकर तथा विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं। जितना महत्वपूर्ण इस व्रत का पालन है, उतना ही इसका पारण भी आवश्यक है, जिसके लिए हिंदू धर्मग्रंथों में स्पष्ट नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना अनिवार्य माना जाता है।
मोक्षदा एकादशी का व्रत जितना पवित्र है, उतना ही इसका पारण भी महत्वपूर्ण है। इस व्रत का पारण यानी व्रत टूटने एवं पूजा-दान का समय बड़े नियम और विधि के साथ किया जाता है। धर्मग्रंथों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, अगर मोक्षदा एकादशी का व्रत सही रीति-रिवाजों, विधिपूर्वक पूजा-पाठ और पूर्ण श्रद्धा के साथ किया जाए, तो उस व्रती की सभी पापों की क्षमा होती है।
मोक्षदा एकादशी का पारण
मोक्षदा एकादशी का पारण बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पावन व्रत को रखने वाले भक्त अगले दिन द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद और निर्धारित समय के भीतर पारण करते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार, व्रत का पारण तभी पूर्ण माना जाता है जब व्रतकर्ता नियमपूर्वक स्नान-ध्यान करके भगवान विष्णु को अर्पित नैवेद्य या हल्का सात्त्विक भोजन ग्रहण करता है। इस दिन अनाज का सेवन वर्जित रहता है, इसलिए पारण फलाहार या सरल सात्त्विक भोजन से किया जाता है। ऐसा कहा गया है कि सही विधि से पारण करने पर व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
महत्व
मोक्षदा एकादशी पारण का अत्यंत विशेष महत्व माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत का फल तभी पूर्ण माना जाता है जब उसका पारण सही समय और विधि से किया जाए। पारण के दौरान भगवान विष्णु का ध्यान, पूजन और सात्त्विक आहार ग्रहण करना महत्वपूर्ण होता है। इस दिन व्रत समाप्त करते समय दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत और उसका समय पर किया गया पारण जीवन के पापों को दूर करता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
शुभ मुहूर्त
मोक्षदा एकादशी 2025 का व्रत पारण द्वादशी तिथि में ही किया जाएगा, जो कि इस वर्ष 2 दिसंबर को पड़ रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्रत तोड़ने का शुभ समय सुबह 6:51 बजे से 9:04 बजे तक निर्धारित है। माना जाता है कि इस समयावधि में व्रत का पारण करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं और भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है।
पूजा विधि
- मोक्षदा एकादशी व्रत तोड़ने की परंपरा बेहद पवित्र मानी जाती है।
- द्वादशी तिथि की सुबह स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
- इसके बाद भक्त भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करते हैं।
- मंत्र जाप कर सुख-शांति की कामना करते हैं।
- भगवान को सात्विक भोजन अर्पित किया जाता है, जिसमें तुलसी अवश्य शामिल होती है।
- पूजा के बाद प्रसाद सभी में बांटा जाता है और जरूरतमंद लोगों को भोजन, कपड़े या धन का दान कर व्रत का पारण पूर्ण किया जाता है।
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है।
