आश्विन मास की कृष्ण पक्ष तिथि को मनाया जाएगा चतुर्दशी श्राद्ध, अकाल मृत्यु वाले पितरों के लिए विशेष दिन

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Published On: 20 September 2025

आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की तिथि को चतुर्दशी श्राद्ध, शनिवार को किया जाएगा। यह श्राद्ध खास तौर पर उन लोगों के लिए किया जाता है जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो। शनिवार होने के कारण इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। साथ ही, चतुर्दशी तिथि पर हनुमान जी की पूजा करने से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा सिंह राशि में स्थित रहेंगे।

20 सितंबर को चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। यह दिन शनिवार होने के कारण और भी अधिक महत्व रखता है। इस दिन विशेष रूप से उन पितरों के श्राद्ध किए जाते हैं जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो।

चतुर्दशी श्राद्ध

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की तिथि को चतुर्दशी श्राद्ध किया जाएगा। गरुड़ पुराण के अनुसार, चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध विशेष रूप से उन पितरों के लिए किया जाता है जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो, जैसे कि दुर्घटना, हत्या या आत्महत्या। स्वाभाविक मृत्यु वाले पितरों का श्राद्ध इस तिथि पर नहीं किया जाता। इस श्राद्ध से पितर संतुष्ट होकर परिवार को सुख, समृद्धि, यश और लंबी आयु का आशीर्वाद देते हैं। शनिवार होने के कारण इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा सिंह राशि में स्थित होंगे, और साथ ही हनुमान जी की पूजा करने से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।

महत्व

चतुर्दशी श्राद्ध इस बार शनिवार को पड़ रहा है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है। अग्नि पुराण के अनुसार, शनिवार का व्रत रखने से साधक शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति पा सकता है। मान्यता है कि सात शनिवार व्रत करने से शनिदेव का क्रोध शांत होता है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है, साथ ही विशेष कृपा भी मिलती है।

शुभ मुहूर्त

पितृ पक्ष 2025 में चतुर्दशी श्राद्ध 20 सितंबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:50 से 12:39 तक रहेगा, जबकि राहुकाल सुबह 9:11 से 10:43 तक है। इसे घट चतुर्दशी, घायल चतुर्दशी या चौदस श्राद्ध भी कहा जाता है और पितरों की तृप्ति के लिए इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

पूजा विधि

  • शनिवार को शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए।
  • इस दिन मंदिर या पूजा स्थल को साफ करना शुभ माना जाता है।
  • इसके बाद शनिदेव की प्रतिमा को जल से स्नान कराना, काले वस्त्र, काले तिल, काली उड़द की दाल और सरसों का तेल अर्पित करना चाहिए।
  • सरसों के तेल का दिया जलाने के साथ रोली और फूल चढ़ाने के बाद जातक को शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।

उपाय

  • शनि दोष दूर करने के लिए शनिवार को शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।
  • भक्तों को सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
  • इसके साथ ही राजा दशरथ द्वारा रचित ‘शनि स्तोत्र’ का भी पाठ लाभकारी माना जाता है
  • और मंत्र ‘शं शनैश्चराय नम:’ तथा ‘सूर्य पुत्राय नम:’ का जाप करना शुभ होता है।
  • मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है, इसलिए हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है।

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