पूर्णिमा पर करें सत्यनारायण व्रत, पाएं अपार सुख, समृद्धि व शांति; जानें महत्व और पूजा विधि

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Published On: 10 November 2025

सत्यनारायण व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है, जिसमें भगवान सत्यनारायण (सत्य के नारायण) की पूजा की जाती है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों ही प्रकार के लाभ मिलते हैं। सत्यनारायण की कथा सुनना और व्रत करना विशेष पुण्य का काम माना जाता है। व्रत करने के दौरान कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है, जैसे सही समय पर पूजा करना, कथा का ध्यानपूर्वक पाठ करना, और भगवान को प्रसन्न करने हेतु सत्कर्म करना। इन नियमों का ध्यान रखकर व्रत करने से व्यक्ति अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकता है।

सत्यनारायण व्रत हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की पूजा के रूप में विशेष महत्व रखता है। इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करने पर साधक को सुख, समृद्धि और शुभ फल मिलने की मान्यता है।

सत्यनारायण व्रत

सत्यनारायण व्रत किसी भी शुभ अवसर पर किया जा सकता है, लेकिन पूर्णिमा तिथि को इसका पालन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। व्रत करने वाले को दिन भर उपवास रखना होता है और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए। अगर सुबह पूजा करना संभव न हो, तो शाम के समय भी भगवान सत्यनारायण की पूजा की जा सकती है।

महत्व

सत्यनारायण व्रत हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है, जिसमें भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा का आयोजन किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से किसी भी शुभ अवसर पर किया जा सकता है, लेकिन पूर्णिमा या किसी खास पर्व पर करने से इसका पुण्य और भी बढ़ जाता है। व्रत करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति, पारिवारिक सुख-समृद्धि और कठिनाइयों से मुक्ति जैसी लाभ प्राप्त होते हैं। इस व्रत में उपवास, पूजा और कथा सुनना शामिल है, जिससे भक्त का मन और जीवन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।

पूजा विधि

  • सत्यनारायण व्रत की विधि के अनुसार, सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  • स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनने के बाद पूजा स्थल की सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।
  • पूजा के लिए चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान सत्यनारायण की तस्वीर स्थापित की जाती है।
  • साथ ही कलश और नारियल भी रखे जाते हैं।
  • पंडित को बुलाकर या स्वयं कथा सुनना चाहिए और आसपास के लोगों को इसमें शामिल करना चाहिए।
  • भगवान को चरणामृत, पान, तिल, रोली, कुमकुम, फल, फूल और सुपारी अर्पित की जाती है।
  • कथा के बाद आरती की जाती है और सभी में प्रसाद बांटा जाता है।
  • रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है।

मिलते हैं ये लाभ

  • सत्यनारायण व्रत करने से साधक के सभी मनोकामना पूरी होती हैं और उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  • यह व्रत दुखों को दूर करने और धन-धान्य में वृद्धि करने वाला माना जाता है।
  • इसके अलावा, जो व्यक्ति संतानहीन हैं, उन्हें इस व्रत से संतान सुख की प्राप्ति भी हो सकती है।
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