ज्योतिष | सावन माह में आने वाला प्रदोष व्रत शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। प्रदोष व्रत हर महीने दो बार आता है- एक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी और दूसरा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को। यह व्रत पूरी तरह भगवान शिव को समर्पित होता है। वर्तमान समय में सावन मास चल रहा है, इसलिए इस व्रत का पुण्यफल और भी अधिक हो जाता है। सावन का पहला प्रदोष व्रत आज मनाया जाएगा। इस दिन मंगलवार होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत से ऋण मुक्ति, रोग नाश और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है, और भगवान शिव की कृपा विशेष रूप से प्राप्त होती है। यह दिन व्रत, पूजा, अभिषेक और शिव मंत्रों के जाप के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
सावन का पहला प्रदोष व्रत आज मनाया जाएगा। इस बार यह व्रत मंगलवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। यह व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पूर्व से लेकर सूर्यास्त के 1.5 घंटे बाद तक यानी प्रदोष काल में किया जाता है।
इस व्रत में उपवास रखा जाता है और शाम को भगवान शिव की विशेष पूजा, अभिषेक, और आरती की जाती है। विशेष रूप से जब यह व्रत सोमवार (सोम प्रदोष), मंगलवार (भौम प्रदोष) या शनिवार (शनि प्रदोष) को आता है, तब इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
आज है भौम प्रदोष व्रत
आज 22 जुलाई 2025, मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए रखा जाता है और जब यह मंगलवार को पड़ता है, तब इसे भौम प्रदोष कहा जाता है। भौम यानी मंगलवार का संबंध मंगल ग्रह से होता है, जो साहस, शक्ति और ऊर्जा का कारक है। इस व्रत से मांगलिक दोष कम हो सकता है।
भौम प्रदोष व्रत का महत्व
भौम प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को कहते हैं और यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन शिवजी की उपासना करने से जीवन की अनेक बाधाएं दूर होती हैं। यह व्रत विशेष रूप से मांगलिक दोष से पीड़ित जातकों के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है।
इस व्रत को करने से करियर में आ रही रुकावटें, विवाद, मानसिक तनाव और वैवाहिक जीवन की समस्याएं भी कम हो सकती हैं। साथ ही, मंगलवार को हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व होता है, इसलिए इस दिन व्रत रखने से शिवजी और हनुमान जी दोनों की कृपा साधक को प्राप्त होती है, जिससे साहस, ऊर्जा और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
प्रदोष व्रत का तिथि और मुहूर्त
सावन मास में आने वाला प्रदोष व्रत इस वर्ष 22 जुलाई को मनाया जाएगा। दृक पंचांग के अनुसार, सावन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 22 जुलाई को सुबह 7:05 बजे से हो रहा है, जो 23 जुलाई की सुबह 4:39 बजे तक रहेगा। चूंकि त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 22 जुलाई को हो रहा है और यह दिन मंगलवार का है, इसलिए इस दिन भौम प्रदोष व्रत का पालन किया जाएगा।
इस विशेष अवसर पर श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना करके पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं। इस दिन पूजा-अर्चना के लिए प्रदोष काल का समय अत्यंत शुभ माना गया है। यह मुहूर्त शाम 7:18 बजे से लेकर रात 9:22 बजे तक रहेगा। इस समय भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है.
