मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर, यानी आज रखा जाएगा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप की पूजा-अर्चना करते हैं और मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा सुनते हैं। व्रत रखने वाले लोग रात में जागरण करते हैं और अगले दिन सुबह पारण करके व्रत पूर्ण करते हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और भगवान की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है, जिससे जीवात्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
मोक्षदा एकादशी इस साल 1 दिसंबर को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत और पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रत को पूर्ण रूप से फलदायी बनाने के लिए पूजा के दौरान मोक्षदा एकादशी की कथा सुनना अनिवार्य माना जाता है।
मोक्षदा एकादशी
मोक्षदा एकादशी इस वर्ष 1 दिसंबर को सोमवार को पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप की विशेष पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी की कथा सुनना व्रत पूर्ण करने के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है।
महत्व
मोक्षदा एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है और इसे मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी कहा जाता है। यह व्रत मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है और व्रत रखने वाले भक्त मोक्ष की प्राप्ति के लिए दिनभर उपवास रखते हैं। मोक्षदा एकादशी पर व्रत कथा सुनना और रात्रि जागरण करना भी विशेष पुण्यदायक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किए गए पूजा-पाठ और व्रत से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।
व्रत कथा
मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा के अनुसार, एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के महत्व और विधि के बारे में पूछा। भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि जो लोग इस व्रत का पालन करते हैं, उनके सभी पाप मिट जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। कथा में गोकुल नगर के राजा वैखानस का उल्लेख है, जिन्हें सपने में उनके पिता नरक में यम के कष्ट भोगते दिखाई दिए। राजा ने पर्वत ऋषि से सलाह ली, जिन्होंने कहा कि मोक्षदा एकादशी व्रत करने और उसके पुण्य का दान करने से राजा के पिता नरक के दुखों से मुक्त हो जाएंगे। राजा ने व्रत किया और पुण्य का दान अपने पिता के नाम संकल्पित किया, जिससे उनके पिता को मुक्ति मिली और वे स्वर्ग चले गए। इसी प्रकार मोक्षदा एकादशी व्रत करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शुभ मुहूर्त
मोक्षदा एकादशी के अवसर पर इस वर्ष मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी तिथि का शुभारंभ 30 नवंबर, रविवार को रात 9:29 बजे होगा और यह तिथि 1 दिसंबर, सोमवार को शाम 7:01 बजे समाप्त होगी। इस दिन मोक्षदा एकादशी पूजा के लिए विशेष मुहूर्त सुबह 6:56 बजे से 8:15 बजे तक और फिर सुबह 9:33 बजे से 10:52 बजे तक रहेगा। भक्त इन शुभ समय में पूजा-अर्चना करके व्रत का पूर्ण फल प्राप्त कर सकते हैं।
पूजा विधि
- मोक्षदा एकादशी पर विशेष पूजा विधि का पालन किया जाता है।
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद साफ-सुथरे स्थान पर भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप की पूजा की जाती है।
- पूजा में दीपक जलाना, धूप-अगरबत्ती, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करना शामिल है।
- भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और मोक्षदा एकादशी की कथा सुनते हैं।
- दिनभर अहिंसा, सत्कर्म और उपवास का पालन करना शुभ माना जाता है।
- रात्रि में जागरण कर भजन-कीर्तन करना और अगले दिन व्रत का पारण करना व्रत पूर्णता के लिए आवश्यक है।
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है।
