नवंबर 2025 में मासिक शिवरात्रि का व्रत 18 नवंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को होता है और भगवान शिव तथा माता पार्वती को समर्पित है। मार्गशीर्ष मास की शिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत करने से सुख-शांति, आरोग्य और मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मिलता है। भक्त इस अवसर पर विशेष पूजा, उपवास और रात्रि जागरण कर भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करते हैं।
मासिक शिवरात्रि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है और यह भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस अवसर पर भक्त व्रत रखते हैं और शिव पूजा-अर्चना करते हैं। मार्गशीर्ष मास की मासिक शिवरात्रि इस साल 18 नवंबर को पड़ रही है, और इस दिन निशिता काल की पूजा का विशेष महत्व है।
मासिक शिवरात्रि व्रत
मासिक शिवरात्रि व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है और यह भगवान शिव व माता पार्वती को समर्पित होता है। मार्गशीर्ष मास की मासिक शिवरात्रि 18 नवंबर को है, जिसे निशिता काल में विशेष पूजा-अर्चना के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत करने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति व समृद्धि आती है। भक्त पूरे दिन उपवास रखते हुए रात्रि में शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करते हैं और शिव मंत्रों का पाठ करते हैं।
महत्व
मासिक शिवरात्रि का व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव की कृपा प्राप्ति, पापों से मुक्ति और जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अविवाहित कन्याएं अच्छे वर के लिए, विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए, और पुरुष मानसिक शांति व करियर में उन्नति के लिए यह व्रत करते हैं।
शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष मास की मासिक शिवरात्रि 18 नवंबर 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, यह तिथि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 18 नवंबर को सुबह 7:12 बजे शुरू होकर 19 नवंबर को सुबह 9:43 बजे समाप्त होगी। इस दिन निशिता काल में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है, इसलिए व्रत 18 नवंबर को ही रखा जाएगा।
पूजा विधि
- मासिक शिवरात्रि पूजा के लिए श्रद्धालुओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है।
- पूजा शुरू करने से पहले व्रत और पूजा का संकल्प लिया जाता है।
- चौकी पर भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित कर गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से अभिषेक किया जाता है।
- इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन और पुष्प चढ़ाए जाते हैं।
- धूप-दीप जलाए जाते हैं और सफेद मिठाई या अन्य भोग अर्पित किया जाता है।
- पूजा के दौरान समस्त शिव परिवार की आराधना की जाती है
- मासिक शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ या श्रवण किया जाता है।
- अंत में ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए आरती की जाती है।
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है।
