छठ पूजा का पर्व हर साल बड़े श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है, खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के क्षेत्रों में बड़े उल्लास के साथ यह पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 26 अक्टूबर यानी आज खरना,छठ पूजा का दूसरा दिन है, जो व्रतियों के लिए विशेष महत्व रखता है। खरना के दिन व्रति सूर्यदेव और छठ माता की पूजा करते हैं और विशेष प्रसाद तैयार करते हैं। इस प्रसाद में सबसे महत्वपूर्ण है गुड़ वाली खीर, जिसे पारंपरिक रूप से मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। कहा जाता है कि इस खीर के बिना खरना अधूरी मानी जाती है।
छठ पूजा का पर्व इस साल श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। छठ पूजा का दूसरा दिन, खरना श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्वपूर्ण रहता है, क्योंकि इस दिन व्रति संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हुए सूर्य देव की पूजा करते हैं।
खरना
आज छठ पर्व के दूसरे दिन ‘खरना’ है, जो इस महापर्व का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार होते हैं। खरना के दिन सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा की जाती है, और विशेष रूप से गुड़ की खीर, रोटी और केले का प्रसाद तैयार किया जाता है। यह प्रसाद आम की लकड़ी से जलाए गए मिट्टी के चूल्हे पर पकाया जाता है, जिसे पवित्रता और आस्था का प्रतीक माना जाता है
महत्व
छठ पूजा का दूसरा दिन ‘खरना’ विशेष महत्व रखता है, जो इस साल आज पड़ रही है। इस दिन से लगभग 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है, जो सप्तमी तिथि की शाम सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है। व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को भगवान सूर्य और छठी मैया के लिए गुड़ की खीर, रोटी और फलों का विशेष प्रसाद तैयार करते हैं। पूजा के बाद व्रती सबसे पहले इसे भगवान को अर्पित करते हैं और फिर स्वयं ग्रहण करते हैं, जिससे मुख्य व्रत की शुरुआत होती है।
खरना का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। इस दिन प्रसाद को परिवार और पड़ोसियों में बांटने की परंपरा है, जो समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देती है।
प्रसाद
- छठ पूजा के दूसरे दिन यानी आज खरना मनाया जाएगा।
- इस दिन व्रतियों के लिए विशेष प्रसाद गुड़ वाली खीर और रोटी बनती है।
- खीर तैयार करने के लिए मिट्टी के नए चूल्हे का उपयोग किया जाता है।
- आम की लकड़ी जलाकर ही इसे पकाया जाता है, जबकि अन्य लकड़ियों का उपयोग वर्जित माना जाता है।
- यह प्रसाद पीतल या मिट्टी के बर्तनों में तैयार किया जाता है।
- शाम को सूर्य देव की पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालु इस विशेष प्रसाद को ग्रहण करते हैं।
गुड़ की खीर बनाने की विधि
- खरना प्रसाद बनाने की विशेष विधि होती है।
- व्रती मिट्टी या पीतल के बर्तन में दूध उबालकर उसमें साफ किए हुए चावल डालते हैं।
- जब चावल पक जाए तो इसमें गुड़ मिलाकर पकाया जाता है और आंच को मध्यम रखा जाता है।
- इसके साथ थोड़ी शुद्ध घी और पसंदीदा ड्राई फ्रूट्स व इलायची पाउडर डालकर इसे स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाया जाता है।
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