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भारत का अनोखा गणेश मंदिर, यहां चूहे नहीं मोर पर विराजित हैं बप्पा, खासियत जान रह जाएंगे हैरान

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Published On: 30 August 2025

नई दिल्ली | गणेश उत्सव का त्योहार देशभर में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। यह 10 दिनों तक चलने वाला ऐसा त्यौहार है जब हर कोई गणपति बप्पा की भक्ति में डूबा नजर आता है। इस समय घर-घर में मूर्तियों की स्थापना की जाती है। पंडालों को सजाया जाता है और बप्पा को अलग-अलग व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।

इन 10 दिनों तक गणपति मंदिरों में काफी भीड़ भी देखने को मिलती है। आज हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताते हैं जिसकी विशेषता सुंदर आप हैरान हो जाएंगे। भारत में वैसे तो कहीं सारे गणेश मंदिर हैं जिनकी अपनी कहानी है। आज हम आपको ऐसे ही मंदिर के बारे में बताते हैं जहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना जरूर पूरी होती है।

बहुत प्रसिद्ध है त्रिशुंड मंदिर

हम जी मंदिर की बात कर रहे हैं वह महाराष्ट्र के पुणे में मौजूद है। इसे त्रिशुंड गणपति मंदिर के नाम से पहचाना जाता है। यह बहुत सालों से अटूट भक्ति का प्रतीक बना हुआ है। शहर की चहल पहल के बीच ये मंदिर अनोखे आकर्षण से सबको खींच लेता है। इसका इतिहास 1000 साल पुराना बताया गया है। पहले ये शिव मंदिर थे लेकिन बाद में इसे भगवान गणेश को समर्पित कर दिया गया।

कब हुआ था निर्माण

इस मंदिर का निर्माण 26 अगस्त 1754 को धामपुर के भिक्षु गिरी गोसावी ने किया था और यह 1770 में पूरा हुआ था। यह मंदिर सोमवार पेठ की गलियों में कमला नेहरू अस्पताल चौक के पास है। मंदिर का सीधा रास्ता नागजरी नदी की धारा तक जाता है।

क्या है महत्व

इस मंदिर के महत्व की बात करें तो त्रिशुंड का मतलब तीन सूंड होता है। यही इस अनोखी मूर्ति की खासियत है। इसके अलावा इस प्रतिमा की तीन आंखें और छह भुजाएं हैं। बप्पा यहां पर वहां चूहे पर नहीं बल्कि मोर पर सवार हैं। यह कीमती रतन से सजी हुई है और इसे देखने वाला देखता ही रह जाता है।

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