मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। इस दिन देवी पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप की पूजा की जाती है, जिन्होंने पृथ्वी पर अन्न की कमी को दूर किया था। इस साल अन्नपूर्णा जयंती गुरुवार, 04 दिसंबर को है। इस अवसर पर रसोई, चूल्हे और अन्न की विशेष पूजा होती है। मान्यता है कि जो भक्त इस दिन श्रद्धापूर्वक देवी को भोग अर्पित करते हैं, उनके घर के भंडार पूरे साल भरे रहते हैं और कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं होती।
अन्नपूर्णा जयंती इस वर्ष 4 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी। यह पर्व देवी पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप को समर्पित है। इस दिन विशेष रूप से रसोई, चूल्हा और अन्न की पूजा की जाती है और भक्त इस अवसर पर देवी से भोजन और समृद्धि की कामना करते हैं।
अन्नपूर्णा जयंती
अन्नपूर्णा जयंती मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है और इस साल यह 4 दिसंबर 2025 को पड़ रही है। यह दिन देवी पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप को समर्पित है, जिन्हें पृथ्वी पर अन्न और भोजन की देवी माना जाता है। मान्यता है कि अन्नपूर्णा देवी ने अन्न संकट दूर किया और इस दिन रसोई, चूल्हे और अन्न की विशेष पूजा की जाती है। भक्त इस अवसर पर देवी से सुख, समृद्धि और परिवार में भोजन की पर्याप्तता की कामना करते हैं।
महत्व
अन्नपूर्णा जयंती, देवी पार्वती के अन्नपूर्णा रूप को समर्पित विशेष अवसर है, जो मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। अन्नपूर्णा देवी को अन्न की देवी माना जाता है और उनके आशीर्वाद से घरों में अन्न की कमी नहीं होती। इस दिन विशेष रूप से रसोई, चूल्हे और अन्न की पूजा की जाती है, ताकि परिवार में समृद्धि और सुख-शांति बनी रहे। मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा और भक्ति भाव से देवी अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं, उनके जीवन से भूख और संकट दूर होते हैं।
दिव्य भोग
मां अन्नपूर्णा को अन्न और भोजन का प्रतीक माना जाता है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष भोग अर्पित किए जाते हैं।
चावल की खीर
अन्नपूर्णा जयंती पर चावल की खीर का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। खीर, जो दूध और चावल से बनती है, मिठास और समृद्धि का प्रतीक है। इस अवसर पर खीर में तुलसी के पत्ते डालना शुभ फलदायी माना जाता है और इसे माता अन्नपूर्णा को अर्पित करना उनकी कृपा प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है।
पूड़ियां
अन्न के महत्व को दर्शाने वाले इस पर्व पर पूरियों का भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है। इस दौरान पूरियां शुद्ध घी में तली जाती हैं और इन्हें किसी स्वादिष्ट सब्जी के साथ देवी को अर्पित किया जाता है। यह परंपरा अन्नपूर्णा देवी के प्रति श्रद्धा और समृद्धि की कामना को दर्शाती है।
बेसन के लड्डू
बेसन के लड्डू अन्नपूर्णा भोग का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। बेसन, जो गुरु ग्रह और पीले रंग का प्रतीक है, भगवान विष्णु को भी प्रिय माना जाता है। मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा को पीली चीजें अर्पित करने से घर में ज्ञान और समृद्धि आती है। इसलिए घर पर शुद्ध घी और बेसन से बने लड्डू को भोग में शामिल करना बेहद शुभ माना जाता है।
पांच प्रकार के फल
माता अन्नपूर्णा को कम से कम पांच प्रकार के मौसमी फलों का भोग जरूर लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और घर में समृद्धि तथा सुख-शांति बनी रहती है।
गुड़ और तिल का मिश्रण
पौष महीने में तिल का विशेष महत्व होता है और गुड़ ऊर्जा तथा मिठास का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस समय गुड़ और तिल से बनी चीजें माता को भोग में जरूर चढ़ानी चाहिए। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और धन संबंधी रुकावटें दूर होती हैं।
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है।
