भोपाल | मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आज राजधानी भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मतदाता सूची में कथित हेरफेर और वोट चोरी को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े होते हैं, जिससे यह संदेह गहराता है कि भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई।
डेटा में चौंकाने वाले आंकड़े
प्रेस वार्ता में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार 5 जनवरी से 2 अगस्त (7 महीने) के बीच मतदाताओं की संख्या में 4.64 लाख की वृद्धि दर्ज हुई, जबकि केवल 2 अगस्त से 4 अक्टूबर (2 महीने) में 16.05 लाख मतदाता जोड़े गये। इसका अर्थ है कि प्रतिदिन औसतन 26,000 नए नाम सूची में जुड़े, जो असामान्य माना जा रहा है।
चुनाव आयोग के आदेशों पर सवाल
सिंघार ने खुलासा किया कि 9 जून 2023 को चुनाव आयोग ने 5 राज्यों (छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मिज़ोरम, राजस्थान और तेलंगाना) के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को आदेश दिया था कि मतदाता सूची में हुए संशोधनों को वेबसाइट पर प्रकाशित न किया जाए। यह आदेश बाद में पूरे देश पर लागू कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम पारदर्शिता खत्म करने और हेरफेर छिपाने के लिए उठाया गया।
राहुल गांधी जी द्वारा “वोट चोरी” के खुलासे ने देश को झकझोर दिया है। मध्यप्रदेश भी इस सुनियोजित चुनावी षड्यंत्र का बड़ा शिकार है।
आज भोपाल में प्रेस वार्ता के माध्यम से ‘वोट चोरी’ को लेकर जनता के सामने कई महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत किए और एक बड़ा खुलासा किया। पीपीटी के माध्यम से… pic.twitter.com/5Bp4HNHiq6
— Umang Singhar (@UmangSinghar) August 19, 2025
‘गरुड़ा ऐप’ का रहस्य
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि 2 दिसंबर 2022 को राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलों को 8.5 लाख डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक किसी भी जिले ने इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की। आरटीआई के माध्यम से भी संबंधित जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।
27 विधानसभा क्षेत्रों में संदिग्ध वृद्धि
सिंघार ने एक तालिका जारी कर कहा कि 27 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस उम्मीदवार बेहद मामूली अंतर से हारे, जबकि उन्हीं क्षेत्रों में मतदाता वृद्धि हार के अंतर से कहीं अधिक रही। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब भाजपा को अनुचित लाभ पहुँचाने के लिए किया गया।उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग मतदाता सूची में फोटो प्रकाशित करने से गोपनीयता का बहाना करता है, जबकि सरकारी योजनाओं में लाभार्थियों की तस्वीरें और वीडियो बड़े पैमाने पर सार्वजनिक किए जाते हैं। “अगर वहां गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होता तो पारदर्शिता के लिए मतदाता सूची में फोटो क्यों नहीं जोड़े जाते?” उन्होंने सवाल उठाया।
‘House No. 0’ एंट्री पर सवाल
प्रेस वार्ता में यह भी कहा गया कि जब-जब गड़बड़ी के आरोप उठते हैं, तब-तब मध्यप्रदेश की CEO वेबसाइट “Under Maintenance” दिखाने लगती है। इसके अलावा मतदाता सूची में “House No. 0” जैसी प्रविष्टियों को फर्जी वोट जोड़ने का माध्यम बताया गया। सिंघार ने 17 अगस्त को दिल्ली में हुई चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर निशाना साधते हुए कहा कि आयोग भाजपा का पक्षधर दिख रहा था। आयोग का यह तर्क कि CCTV फुटेज साझा करने से मतदाताओं की प्राइवेसी प्रभावित होगी, जनता को गुमराह करने जैसा है।
मुख्य मांगें
- अंतिम प्रकाशित मतदाता सूची को फ्रीज़ किया जाए और उस पर सभी दलों के हस्ताक्षर लिये जाएँ।
- पूरी सूची मशीन-रीडेबल फॉर्मेट (CSV/Excel) में उपलब्ध कराई जाए।
- प्रत्येक प्रविष्टि के साथ फ़ोटो प्रकाशित किया जाए।
- सभी संशोधनों और डुप्लीकेट हटाने की कार्यवाही का लॉग सार्वजनिक किया जाए।
उमंग सिंघार ने चेतावनी दी कि यदि पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं की गई तो लोकतंत्र पर गंभीर खतरा मंडराएगा।
