भोपाल | मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के बाद अब CM डॉ. मोहन यादव की सरकार आदिवासी हितों को लेकर एक्शन मोड में आ गई है। वनवासियों की बेहतरी को लेकर रविवार को समत्व भवन में सीएम की अगुवाई में बड़ी बैठक हुई। इस बैठक में वनाधिकार और पेसा एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए। मुख्यमंत्री ने साफ कहा, “सरकार हर पल वनवासियों के साथ खड़ी है, यह भावना जन-जन तक पहुंचनी चाहिए।”
‘एकतरफा स्नेह नहीं चलेगा’- CM
बैठक की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने भावनात्मक अंदाज में कहा कि स्नेह का रिश्ता दोतरफा होना चाहिए। वनवासी भाई-बहनों तक सरकार की योजनाओं का लाभ सुनिश्चित पहुंचाना जरूरी है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि 31 दिसंबर 2025 तक सभी वनाधिकार दावों का निपटारा कर ‘जीरो पेंडेंसी’ की स्थिति बनाई जाए।
पेसा मोबालाईजर्स पर ग्राम सभा को अधिकार
बैठक में एक बड़ा निर्णय यह भी लिया गया कि अब पेसा मोबालाईजर्स की नियुक्ति और उनके कार्य प्रदर्शन का आकलन ग्राम सभाएं करेंगी। यदि प्रदर्शन संतोषजनक न हो, तो इन्हें हटाने का अधिकार भी ग्राम सभा के पास होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे जवाबदेही और कार्यक्षमता, दोनों बढ़ेंगी।
‘बालाघाट मॉडल’ लागू करने की तैयारी
पूर्व विधायक भगत सिंह नेताम ने बैठक में बताया कि बालाघाट जिले में पुलिस चौकियों पर वनाधिकार सहायता केंद्र बनाकर अब तक 450 दावे दर्ज कराए गए हैं। मुख्यमंत्री ने इस मॉडल की तारीफ करते हुए निर्देश दिया कि 88 जनजातीय विकासखंडों में इसे लागू किया जाए। मुख्यमंत्री ने आजीविका को सबसे अहम जरूरत बताते हुए जनजातीय इलाकों में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दुधारू पशुओं (गाय, भैंस) की उपलब्धता बढ़ाई जाए। इसके अलावा, श्रीअन्न (कोदो-कुटकी आदि) से बने उत्पाद जैसे कुकीज, बिस्किट, खीर को बाजार से जोड़ा जाए। इससे आदिवासियों की नकद आमदनी में बढ़ोतरी होगी।
मिलेट (श्री अन्न) सिंधु घाटी सभ्यता के समय से पोषण का सबसे समृद्ध खाद्यान्न रहा है। मिलेट्स को पहला घरेलू अनाज माना जाता है। वर्तमान में भारत, विश्व भर में मिलेट उत्पादन में सबसे आगे है। #PMGKAY सुनिश्चित करती है कि देश के हर लाभार्थी को खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ आवश्यक पोषण भी… pic.twitter.com/8k4qOVcGZz
— Department of Food & Public Distribution (@fooddeptgoi) July 6, 2025
जनजातीय बच्चों के लिए सामाजिक सम्मेलन
मुख्यमंत्री ने कहा कि पढ़ाई और नौकरी में लगे जनजातीय युवाओं के लिए सामाजिक सम्मेलन बुलाया जाए। इससे फीडबैक भी मिलेगा और ज़रूरतमंदों तक योजनाएं पहुंचेंगी। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि पेसा, वनाधिकार अधिनियम, बीडीए समेत सभी कानूनों को एकीकृत रूप से लागू किया जाए और ग्रामसभा को ही निर्णय का केंद्र बनाया जाए। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता के साथ विभागीय योजनाओं का क्रियान्वयन ग्रामसभा की निगरानी में होना चाहिए।
वन अतिक्रमण पर सख्ती
सीएम ने वन विभाग को निर्देश दिए कि किसी भी हाल में नए अतिक्रमण न होने पाएं। यदि तकनीकी दिक्कतें हैं, तो जनजातीय और वन विभाग मिलकर नया पोर्टल विकसित करें। उन्होंने कहा कि सभी वन अधिकारियों की ट्रेनिंग 15 अगस्त तक पूरी कर ली जाए।
2.73 लाख दावे लंबित
बैठक में प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य विभाग ने बताया कि अब तक 2,89,461 वनाधिकार दावे मान्य किए जा चुके हैं। जबकि 2,73,457 दावे अभी भी लंबित हैं, जिनमें 87,283 पुनः परीक्षण के लिए हैं। डॉ. यादव ने पारंपरिक ज्ञान को नीति निर्माण में शामिल करने की बात करते हुए कहा कि वनांचल विकास केंद्रों को शोध, प्रशिक्षण, मार्केट लिंकेज और CSR फंडिंग के जरिए मजबूत किया जाए।
बैठक में मौजूद थे कई दिग्गज
बैठक में डॉ. कुंवर विजय शाह, दिलीप अहिरवार, मुख्य सचिव अनुराग जैन, प्रमुख सचिव गुलशन बामरा, डॉ. राजेश राजौरा, अशोक वर्णवाल, विवेक पोरवाल, पूर्व विधायक राम डांगोरे, डॉ. रूपनारायण मांडवे समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल रहे।
