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अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर बोले CM, कहा- सहकारी समितियां बना रही युवाओं को आत्मनिर्भर

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Published On: 6 July 2025

भोपाल | राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में देश में सहकारिता को नई दिशा मिल रही है। मध्यप्रदेश भी इस दिशा में अग्रसर है, जहां सहकारी समितियों को अब नई योजनाओं और कार्यों में प्राथमिकता दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने यह बात शनिवार को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के मौके पर भोपाल स्थित समन्वय भवन में आयोजित ‘सहकारी युवा संवाद’ कार्यक्रम में कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारिता केवल आर्थिक व्यवस्था नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता का भी आधार है। इससे जुड़कर न केवल युवाओं को स्वरोजगार के अवसर मिल रहे हैं, बल्कि वे अपने क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका भी निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 को ‘रोजगार एवं उद्योग वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है और इसी क्रम में सहकारिता को युवाओं के लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म बनाया जा रहा है।

युवाओं को दिए मंत्र

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कॉलेज विद्यार्थियों से सीधे संवाद किया और सहकारिता को लेकर उनके सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य में सफल होने के लिए आत्मविश्वास पहली आवश्यकता है। उन्होंने युवाओं से कहा कि नया काम शुरू करने से पहले उसके बारे में पूरा अनुभव लें और फिर यह देखें कि सहकारी समिति के ज़रिए उसे कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि एक अच्छे सहकारी नेता को खुद जानकारी रखनी चाहिए और अपने साथियों को भी मार्गदर्शन देना चाहिए।

अब 30 दिन में हो रहा पंजीयन

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सहकारिता व्यवस्था को पूरी तरह पारदर्शी बनाया है। अब नई सहकारी समिति का पंजीयन मात्र 30 दिन में पूरा हो रहा है। यह प्रक्रिया पहले जटिल और लंबी हुआ करती थी। उन्होंने बताया कि सहकारिता से जुड़कर महिलाएं भी आगे आ रही हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के मढ़ई क्षेत्र में महिला समिति द्वारा जिप्सी सफारी चलाई जा रही है, जिससे वे प्रति माह 14 हजार रुपए तक की आय कर रही हैं।

महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार को बढ़ावा

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सहकारिता के माध्यम से उद्योग चलाने वाली 30 महिलाओं को सिलाई मशीन टूल किट भी वितरित की। उन्होंने बताया कि महिलाएं अब केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि उत्पादक बनकर समाज की आर्थिक रीढ़ बन रही हैं। राज्य सरकार इस दिशा में हर संभव सहायता प्रदान कर रही है।

अमूल मॉडल का उदाहरण

मुख्यमंत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा स्थापित अमूल मॉडल का उदाहरण देते हुए कहा कि यह सहकारिता का सबसे सफल मॉडल है। मध्यप्रदेश भी दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। वर्तमान में प्रदेश इस क्षेत्र में देश में तीसरे स्थान पर है, जिसे 20 प्रतिशत योगदान तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि सहकारिता केवल आय बढ़ाने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज और देश को एक करने का तरीका भी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना कर देश में समन्वय और स्वावलंबन की भावना को सशक्त किया गया है।

विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान

कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने सहकारी समिति गठन, पाठ्यक्रम में सहकारिता को शामिल करने जैसे सवाल उठाए। मुख्यमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि पाठ्यक्रम में हर विषय को शामिल करना संभव नहीं, लेकिन युवाओं को स्वयं आगे बढ़कर सहकारिता से जुड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में न उम्र की बाध्यता है, न ही शिक्षा या आय की सीमा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम के अंत में कहा कि सहकारिता भारतीय जीवन दर्शन का अभिन्न अंग है। यह न केवल आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि सामाजिक न्याय, पारदर्शिता और विकास की गारंटी भी देती है। मध्यप्रदेश सहकारिता के माध्यम से युवाओं, महिलाओं और ग्रामीणों को नया भविष्य देने की दिशा में निर्णायक कदम उठा चुका है।

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