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वोट की पवित्रता पर कांग्रेस का बड़ा आंदोलन, रीवा से वोट सत्याग्रह की होगी शुरुआत

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Published On: 11 August 2025

भोपाल | मध्य प्रदेश कांग्रेस ने चुनावी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रदेशभर में बड़ा अभियान छेड़ने की घोषणा की है। पार्टी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोमवार को भोपाल में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जनता का वोट ही लोकतंत्र की असली ताकत है। यही अधिकार संविधान की नींव है और इसी के दम पर जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है। अगर इस अधिकार के साथ छेड़छाड़ होती है, तो यह केवल राजनीति नहीं, बल्कि लोकतंत्र और संविधान पर सीधा हमला है।

पटवारी का आरोप

पटवारी ने आरोप लगाया कि देशभर में भाजपा सरकार और चुनाव आयोग की मिलीभगत से मतगणना प्रक्रिया में हेरफेर हुई है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में जनादेश को बदला गया और विपक्षी दलों के नेताओं के पास इसके सबूत मौजूद हैं। राहुल गांधी ने कई बार चुनाव आयोग को यह सबूत सौंपे, लेकिन कार्रवाई के बजाय चुप्पी साध ली गई।

सांसदों को किया गिरफ्तार

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे बताया कि सोमवार को दिल्ली में करीब 300 सांसद, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं के साथ मिलकर चुनाव आयोग से मिलने पहुंचे थे। उनका उद्देश्य मतदाता अधिकारों की सुरक्षा के लिए आयोग से ठोस कदम उठाने की मांग करना था। पटवारी के अनुसार, सरकार ने जनता की आवाज उठाने के बजाय सभी सांसदों को गिरफ्तार कर लिया। यह लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है।

उन्होंने भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा, “अगर यह तानाशाही रवैया जारी रहा, तो मध्य प्रदेश की सड़कों पर जनता का महासागर उतर आएगा। अब हर घर में यह चर्चा है कि भाजपा वोट चोरी करके सत्ता में आती है, और जनता अब चुप नहीं बैठेगी।”

राज्यभर में पुतला दहन

कांग्रेस ने आंदोलन की रूपरेखा भी घोषित कर दी है। पार्टी के अनुसार, 11 और 12 अगस्त को पूरे मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के पुतले जलाए जाएंगे। इसके बाद 12 अगस्त को रीवा से ‘वोट सत्याग्रह’ का आगाज होगा। इसमें नेता प्रतिपक्ष, वरिष्ठ नेता, विधायक और सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल होंगे।

इस अभियान का उद्देश्य केवल राजनीतिक बयानबाजी नहीं, बल्कि जनता को जागरूक करना और उन्हें यह बताना है कि लोकतंत्र में उनके वोट की पवित्रता क्यों जरूरी है। पटवारी ने कहा कि यह लड़ाई किसी दल की जीत या हार के लिए नहीं, बल्कि ‘एक वोट एक अधिकार’ के सिद्धांत को बचाने और संविधान की रक्षा के लिए है।

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