मध्य प्रदेश की सियासत में शुक्रवार को नई हलचल उस वक्त मच गई, जब पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह अचानक नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के बंगले पहुंच गए। करीब 45 मिनट तक दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में बैठक चली। भले ही इसे “औपचारिक मुलाकात” बताया जा रहा हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर कई तरह की अटकलें तेज हो गई हैं।
मुलाकात के बाद दिग्विजय सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने उमंग सिंघार से आदिवासी जननायक टंट्या मामा भील पर बनने वाली फिल्म को लेकर चर्चा की है।
उन्होंने कहा, “जिस तरह बैतूल में जंगल सत्याग्रह पर फिल्म बनी, उसी तरह अब टंट्या मामा पर भी फिल्म बनाई जा रही है। यह आदिवासी समाज के गौरव का प्रतीक होगी।” दिग्विजय सिंह के मुताबिक, इस फिल्म को लेकर उन्होंने उन निर्माताओं से भी सिंघार की मुलाकात कराई, जो इस विषय पर काम कर रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि नेता प्रतिपक्ष मुख्यमंत्री से भी इस पर चर्चा करें ताकि सरकार से सहयोग मिल सके।
सौजन्य भेंट
दूसरी ओर, उमंग सिंघार ने मुलाकात को पूरी तरह सौजन्य भेंट बताया। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच टंट्या मामा पर फिल्म निर्माण पर सार्थक चर्चा हुई, साथ ही प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और कांग्रेस संगठन की मजबूती पर भी विचार-विमर्श किया गया। हालांकि, सिंघार के इस बयान से यह स्पष्ट नहीं होता कि बैठक सिर्फ सांस्कृतिक पहल थी या राजनीतिक रणनीति पर भी कोई ठोस बात हुई।
सरकार पर बरसे दिग्विजय
मुलाकात के बाद दिग्विजय सिंह ने मीडिया से बातचीत में राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा और आसपास के इलाकों में जहरीले कफ सिरप से हुई बच्चों की मौतों के लिए सरकार जिम्मेदार है। उनका कहना था, “स्वास्थ्य मंत्री ने जांच से पहले ही खुद को क्लीन चिट दे दी। जब सैंपल छिंदवाड़ा से भोपाल पहुंचने में ही दिनों लग गए, तो कार्रवाई की गंभीरता समझी जा सकती है।”
ओबीसी आरक्षण को लेकर भी सरकार पर सवाल
दिग्विजय सिंह ने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर भी सरकार की नीयत पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने बार-बार इस विषय पर भ्रम फैलाया है और न्यायालय के आदेशों के बावजूद आरक्षण व्यवस्था को लेकर स्पष्ट नीति नहीं बनाई।
राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर
हालांकि दोनों नेताओं ने मुलाकात को व्यक्तिगत बताया, लेकिन सियासी पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह कांग्रेस में नई रणनीतिक जमावट की शुरुआत हो सकती है। टंट्या मामा पर फिल्म की चर्चा के बहाने यह मुलाकात कांग्रेस की आदिवासी राजनीति को पुनर्जीवित करने की कोशिश के रूप में भी देखी जा रही है।
