भोपाल अगले तीन दिनों तक अंतरराष्ट्रीय मेहमानों की मेजबानी करेगा। आसियान देशों का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल 18 से 20 नवंबर तक राजधानी में रहेगा। यह दौरा दोनों पक्षों के बीच आर्थिक, निवेश और सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूत करने के मकसद से तय किया गया है। सबसे पहले 18 नवंबर को मुख्यमंत्री मोहन यादव से प्रतिनिधिमंडल मुलाकात करेगा। इस बैठक में मध्यप्रदेश की औद्योगिक नीतियों, निवेश के माहौल और आसियान देशों के साथ बढ़ते आर्थिक सहयोग पर खुलकर चर्चा होगी। प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे आईटी सेक्टर, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, एग्री-प्रोसेसिंग इंडस्ट्री, पर्यटन और ग्रीन एनर्जी की संभावनाओं पर प्रस्तुतीकरण भी दिया जाएगा। शाम को राज्य सरकार द्वारा आयोजित रात्रिभोज में दोनों पक्ष अनौपचारिक माहौल में और गहराई से सहयोग के मुद्दों पर बातचीत करेंगे।
19 नवंबर को प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल मांगूभाई पटेल से शिष्टाचार भेंट करेगा। इसके बाद सभी सदस्य कोर्टयार्ड मैरियट में होने वाले ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट सेमिनार में शामिल होंगे। यहां उद्योग जगत के बड़े चेहरे, चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और प्रमुख निवेशक मौजूद रहेंगे।
सुविधाओं पर विस्तृत जानकारी
सेमिनार में राज्य की औद्योगिक क्षमताओं, सड़क-लॉजिस्टिक नेटवर्क, उपलब्ध जमीन, नीति समर्थन और निवेशकों को मिलने वाली सुविधाओं पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इसी दिन मेहमान मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक खूबसूरती से भी रूबरू होंगे। प्रतिनिधिमंडल को साँची स्तूप और भीमबेटका की सैर कराई जाएगी, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं। इससे उन्हें प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत, बौद्ध कला और हजारों साल पुरानी सभ्यता का अनुभव मिलेगा।
एक्ट ईस्ट पॉलिसी
20 नवंबर को कार्यक्रम का अंतिम दिन रहेगा। इस दौरान मेहमान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय और जनजातीय संग्रहालय भी देखेंगे, जहां उन्हें प्रदेश की जनजातीय कला, संस्कृति और परंपराओं का नजदीकी परिचय मिलेगा। यह पूरा दौरा भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के अनुरूप है, जिसके तहत दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों से संबंध और मजबूत किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश अपनी भौगोलिक स्थिति, बड़े औद्योगिक बेस, निवेश-अनुकूल नीतियों और तेजी से विकसित हो रही इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं के चलते आसियान देशों के लिए एक संभावित निवेश केंद्र के रूप में तेजी से उभर रहा है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तीन दिवसीय दौरा दोनों पक्षों के बीच दीर्घकालीन साझेदारी की दिशा में मजबूत कदम साबित हो सकता है। इससे व्यापार, उद्योग, पर्यटन और सांस्कृतिक सहयोग की नई राहें खुलने की पूरी उम्मीद है।
