भोपाल | मध्य प्रदेश के किसानों के लिए जहां खेत सूने पड़े हैं और उर्वरक संकट गहराता जा रहा है। वहीं, कैग (CAG) की ताज़ा रिपोर्ट ने सरकार की प्राथमिकताओं पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, किसानों की उर्वरक जरूरतों के लिए बनाई गई “उर्वरक विकास निधि” का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर हुआ है।
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ₹5.31 करोड़ की निधि में से ₹4.79 करोड़ (करीब 90%) खर्च कर दिए गए, लेकिन यह खर्च किसानों पर नहीं बल्कि सरकारी अधिकारियों की गाड़ियों, फर्नीचर, और अन्य लग्जरी जरूरतों पर हुआ। जिस राशि से खेतों को खाद मिलनी थी, वह फॉर्च्यूनर और स्कॉर्पियो जैसी गाड़ियों की किस्तों में उड़ गई।
खाद के लिए तरसते किसान
प्रदेश के कई जिलों से खाद की भारी कमी की खबरें सामने आती रही हैं। किसान लाइन में लगे रहते हैं, पर खाद नहीं मिलती। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि विभाग और संबंधित अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर उस फंड से प्रशासनिक खर्च पूरे किए। इससे न केवल किसानों को तात्कालिक नुकसान हुआ, बल्कि योजनाओं की साख को भी ठेस पहुंची है।
विफल योजना
कैग ने यह भी उजागर किया है कि खाद की आपूर्ति न समय पर हुई, न पर्याप्त मात्रा में। कई उर्वरक वितरण केंद्रों में स्टॉक शून्य रहा, जिससे बुआई का समय निकल गया। इसके साथ ही, कृषि योजनाओं की मॉनिटरिंग में भारी लापरवाही बरती गई और ऊपर से सरकारी रिपोर्टों में हालात सामान्य बताकर किसानों की पीड़ा पर परदा डालने की कोशिश की गई।
🚨 मध्य प्रदेश का किसान खाद संकट से जूझ रहा है, खेत सूने पड़े हैं और हालात बद से बदतर हैं!
कैग की ताज़ा रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है👇
➡️ किसानों के लिए बनी उर्वरक विकास निधि से ₹5.31 करोड़ में से ₹4.79 करोड़ (90%) खर्च कर दिए गए,
➡️ लेकिन यह पैसा उर्वरक या किसान हित में न… pic.twitter.com/ifxRqxdx6s— Mukesh Nayak (@mukeshnayakINC) August 2, 2025
विपक्ष का निशाना
इस घोटाले को लेकर विपक्षी दलों और किसान संगठनों ने सरकार पर सीधा हमला बोला है। कांग्रेस नेता मुकेश नायक ने कहा, “किसानों के हिस्से की खाद से गाड़ियां खरीदना शर्मनाक है। भाजपा सरकार किसानों की मदद नहीं, उनके संसाधनों की लूट में लगी है।”
इस खुलासे ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सरकार की प्राथमिकताएं वास्तव में क्या हैं? किसानों की जरूरतें या अफसरशाही की आरामतलबी? अब देखना होगा कि इस रिपोर्ट के बाद जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई होती है या फिर इसे भी बाकी घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।
