भोपाल | पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भारतीय निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि आयोग फैक्ट चेक के नाम पर जनता को गुमराह कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि 2018 में कांग्रेस की शिकायत के बाद आयोग ने मध्य प्रदेश की मतदाता सूची से 24 लाख फर्जी नाम हटाए थे, और इस तथ्य को स्वयं सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के माध्यम से स्वीकार किया था।
कमलनाथ का बयान
कमलनाथ का बयान राहुल गांधी के हालिया आरोपों के समर्थन में आया है। राहुल गांधी ने कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से अधिक फर्जी मतदाताओं की मौजूदगी का मुद्दा उठाया था। इसके जवाब में आयोग ने कहा था कि 2018 में भी कमलनाथ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कमलनाथ ने कहा कि आयोग का यह बयान भ्रामक है और आधा सच पेश कर रहा है।
दिलाई गड़बड़ियों की याद
उन्होंने याद दिलाया कि 2018 में कांग्रेस ने मतदाता सूचियों में कई गड़बड़ियों की शिकायत की थी जैसे एक ही नाम का अलग-अलग जगह दर्ज होना, एक ही फोटो का अलग-अलग सूचियों में इस्तेमाल, मृत या स्थानांतरित व्यक्तियों के नाम का बना रहना और अमान्य पतों पर असामान्य संख्या में मतदाताओं का पंजीकरण। चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में इन विसंगतियों को स्वीकार करते हुए 9664 इंट्रा-एसी रिपीट, 8278 इंटर-एसी रिपीट, 2,37,234 संदिग्ध तस्वीरें और कुल 24 लाख संदिग्ध प्रविष्टियां हटाने का दावा किया था।
In 2018, I raised specific issues with discrepancies in Electoral rolls in Madhya Pradesh. These included:
1. – Demographically similar entries, where the same person had the same names in various assemblies or booths.
2. – Photographically similar entries, where the same person… https://t.co/5iOYvZQflT pic.twitter.com/mNafCYsfeQ— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 9, 2025
सुधारात्मक कार्रवाई
कमलनाथ ने कहा कि आयोग ने तब यह भी माना था कि सूची में सुधारात्मक कार्रवाई की जाएगी, लेकिन मशीन-रीडेबल पीडीएफ़ उपलब्ध कराने से मना कर दिया था। उनका आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट में दिए आश्वासन के बावजूद आयोग ने अब अपने ही रुख से पीछे हटते हुए मतदाता सूची में हेरफेर की संभावना से इनकार करना शुरू कर दिया है।
दी चेतावनी
उन्होंने चेतावनी दी कि राहुल गांधी के हालिया निष्कर्ष इस बात का सबूत हैं कि मतदाता सूची में गड़बड़ियों का पैटर्न न केवल जारी है, बल्कि अब यह और गंभीर रूप ले चुका है। कमलनाथ ने निर्वाचन आयोग से मांग की कि वह 2018 की तरह पारदर्शी और ठोस कार्रवाई करे, ताकि लोकतंत्र की नींव मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर कोई सवाल न उठ सके।
